आलस को कैसे दूर करे : मनुष्य जीवन अनेक महती संभावनाओं से भरा हुआ है , लेकिन बहुत ही कम लोग इसको समुचित दृष्टि से साकार कर पाते हैं । अधिकांशत : प्रतिभा एवं योग्यता होने के बावजूद आधा – अधूरा जीवन जीने के लिए अभिशप्त होते हैं व जीवन , बिना किसी सार्थक आंतरिक – बाह्य उपलब्धि एवं निष्कर्ष के ऐसे ही बीत जाता है ।
इस त्रासदी का मुख्य कारण रहता है – आलस्य , जिसे मनुष्य के सबसे बड़े शत्रु की संज्ञा दी गई है । आलस्य जड़ता एवं बेहोशी का प्रतीक है , जो व्यक्ति को वर्तमान में नहीं जीने देता । इसके आगोश में व्यक्ति या तो बीती यादों की खुमारी में डूबा रहता है या भविष्य के कोरे स्वप्नों में खोया रहता है ।
वह कुछ करना नहीं चाहता । बाहर से देखने पर वह निश्चित , निर्द्वद्व दिख सकता है , लेकिन अंदर से वह इस अवस्था की स्थिरता , शांति एवं चेतनता से वंचित होता है । आलस्य में विघ्न एक आलसी को खलल जैसा प्रतीत होता है । अपनी इच्छा से वह आलस्य से बाहर नहीं निकलना चाहता ।
ऐसे में आलसी उस पुरुषार्थ से वंचित रह जाता है , जो जाग्रत संकल्प से उद्भूत होता है , जो चुनौतियों को अवसर में बदलने का साहस रखता है । जो विषम परिस्थितियों के बीच भी अपना लक्ष्य सिद्ध करना जानता है ।
आलसी में उस जागरूकता का अभाव रहता है , जो सामने आ रहे अवसरों को समझ सके । आगे बढ़ने के मौके सामने आते रहते हैं , लेकिन आलसी मूकदर्शक बनकर इनका लाभ उठाने से चूक जाता है । इस तरह आलस्य की जड़ता में व्यक्ति आंतरिक और बाहरी संभावनाओं को साकार नहीं कर पाता ।
आलस्य के कई कारण हो सकते हैं – ( 1 ) बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम ( 2 ) मानसिक श्रम से उपजी हुई थकान इनमें से पहले दो कारण तो परिस्थितिजन्य हैं , जिनसे हुए ऊर्जा – क्षय की उचित विश्राम , निंद्रा एवं आहार – विहार के साथ भरपाई हो जाती है , जिसके बाद फिर व्यक्ति आलस्य से उबर जाता है और अपने कार्य में सक्रिय हो जाता है ।
तीसरा कारण व्यक्ति की बिगड़ी आदतों से जुड़ा है , जिन्हें सुधारकर ही ठीक किया जा सकता है । सबसे अधिक घातक होता है स्वभावगत आलस्य , जिससे उबरना अत्यंत कठिन होता , लेकिन असंभव नहीं ।
आलस को कैसे दूर करे – आलस दूर करने का मन्त्र
आलस्य से निपटने के लिए विभिन्न स्तरों पर निम्न तरीकों को अपनाने का क्रम कुछ इस तरह बनाया जा सकता है
हलका आहार लें
( 1 ) हलका आहार लें – भारी आहार आलस्य का प्रमुख कारण रहता है । कहावत भी है कि पेट भारी तो मन भारी । ऐसे में 3-4 घंटों के अंतराल में अपनी स्थिति के अनुरूप हलका आहार लिया जा सकता है । स्वल्पाहार जहाँ पेट को हलका रखता है , वहीं इससे प्राप्त ऊर्जा व्यक्ति को सक्रिय रखती है ।
चहलकदमी करें
( 2 ) चहलकदमी करें – जब काम करते – करते थक जाएँ या आलस्य हावी होने लगे , तो उठकर टहलना आलस्य दूर करने में सहायक होता है । 10-15 मिनट टहलना थकान को मिटाते हुए नवीन ऊर्जा का संचार करता है । साथ ही गहरा श्वास लेने का अभ्यास भी किया जा सकता है ।
पर्याप्त नींद लें
( 3 ) पर्याप्त नींद लें – नींद का पूरा न होना भी आलस्य का एक कारण बनता है । अत : गहरी नींद व्यक्ति को तरोताजा बनाए रखती है व आलस्य का कारण निरस्त हो जाता है । अतः समय पर सोएँ व जागें , दिन में न सोएँ । नींद से पहले विश्राम कर शांतिपूर्वक सोने जाएँ ।
भरपूर पानी पीएँ
( 4 ) भरपूर पानी पीएँ – पानी की कमी ( डिहाइड्रेशन ) भी आलस्य का कारण बन सकती है । ऐसे में नियमित अंतराल पर जल लेते रहें तथा दिनभर में जल की पर्याप्त मात्रा लें , जिससे कि शरीर के विजातीय तत्त्वों का शोधन होता रहे व व्यक्ति तरोताजा अनुभव करे ।
दिनचर्या रखें संयमित
( 5 ) दिनचर्या रखें संयमित – संतुलित – असंयमित व असंतुलित दिनचर्या आलस्य का एक प्रमुख कारण है ; क्योंकि इससे शारीरिक एवं मानसिक ऊर्जा का क्षय होता है । अतः दिनचर्या को संयमित व संतुलित रखकर हम थकान से बखूबी निपट सकते हैं ।
ताजगी के छोटे – छोटे प्रयोग
( 6 ) ताजगी के छोटे – छोटे प्रयोग – सुबह बिस्तर से उठकर मॉर्निंग वॉक करें । मौसम को देखते ठंढे जल से स्नान कर सकते हैं । आँखों पर ठंढे पानी के छींटे बहुत सहायक होते हैं । मौसम के अनुरूप ताजगीवर्द्धक गरम या ठंढे पेय का सेवन भी किया जा सकता है ।
तनाव का सामना करें
( 7 ) तनाव का सामना करें – तनाव के कारण भी ऊर्जा का भारी क्षय होता है । ऐसे में हलकी – फुलकी गतिविधियों में शामिल रहकर इससे निपट सकते हैं । नियमित योग का अभ्यास कर सकते हैं । मधुर संगीत का श्रवण व मित्रों का संग – साथ भी बहुत सहायक रहता है ।
श्रम की अति से बचें
( 8 ) श्रम की अति से बचें , कार्य को टुकड़ों में बाँटें – जहाँ तक संभव हो कार्य करने का संतुलित तरीका .अपनाएँ । कार्य को बोझ की तरह करने के बजाय व्यवस्थित तरीके से करें । बड़े कार्य को टुकड़ों में बाँटकर बीच – बीच में विश्राम भी लें । साथ ही कार्य को बदलें व इसमें नयापन लाते रहें ।
लक्ष्य में रुचि रखें
( 9 ) लक्ष्य में रुचि रखें , मनपसंद कार्य करते रहें आलस्य का एक अहम कारण कार्य के प्रति अरुचि भी है ।
रुचि न होने के कारण व्यक्ति कार्य में टालमटोल करता रहता है , जो आलस्य का एक बड़ा कारण बनता है ।
अतः रुचिकर लक्ष्य को हाथ में लें , या कार्य को रोचक बनाएँ ।आप देखेंगे कि आलस्य कैसे विदा हो जाता है । इस तरह व्यक्ति अपनी स्थिति के अनुरूप रणनीति बनाकर आलस्यरूपी महाव्याधि से निपट सकता है ।
अंतिम शब्द
इस लेख में आपको आलस को कैसे दूर करे – आलस दूर करने के उपाय इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारिया मिली हमें यकीन है की आप सभी पाठको को यह काफी पसंद होगा
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