हींग के फायदे व गुण – Asafoetida Benefits in Hindi
किचन में इस्तेमाल होने वाले मसालों में हींग की भूमिका भी कम नहीं है। हींग पाचक भी है, मारक भी है। यह पेट के कीड़ों को नष्ट कर वात और कफ का नाश करता है। हृदय रोग से बचाता है। आंखों के लिए फायदेमंद है। शारीरिक और मानसिक मजबूती। हींग के सेवन से श्वासनली में जमने वाला कफ पतला हो जाता है। कफ निकालने की गुणवत्ता खांसी में लाभकारी होती है। यह कफ में रहने वाले कीटाणुओं को नष्ट करके कफ की गंध को भी नष्ट करता है।
शुद्ध हींग का परीक्षण
जो हींग में मिलाने पर धीरे-धीरे पूरी तरह से घुल जाता है, और पानी शुद्ध दूध जैसा दिखता है और बर्तन के फर्श पर कोई अवशेष नहीं बैठता है, यह शुद्ध हींग है।
हींग पूरी तरह जल जाती है। इसका रंग अच्छा, तेज गंध और स्वाद कड़वा होना चाहिए। इसी प्रकार परीक्षित हींग का प्रयोग करना चाहिए।
व्यावसायिक दृष्टि से मिलावटी व्यापारी हींग में गेहूं का आटा, पत्थर के टुकड़े आदि मिलाते हैं, जिससे उसका वजन बढ़ जाता है। हींग जब पानी में घुल जाती है तो वह बर्तन के फर्श पर बैठ जाती है।
हींग शुद्धिकरण
हींग को घी के अंदर लोहे के बर्तन में डालकर आग पर रख दें, जब कुछ रंग लाल हो जाए तो इसे उतारकर प्रयोग में लाएं.
मानसिक रोगों में
मनश्चिकित्सा में मनोचिकित्सकों के मस्तिष्क और मस्तिष्क में कमजोरी के कारण मस्तिष्क बाहरी घटनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है, जिससे गलतियाँ होती हैं।
निराशाजनक विचारों में दिन-रात उदास रहने से मानसिक अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
मानसिक कल्पनाओं ने बना दिया भयावह वह देती है। कई मनोविकार जन्म लेने लगते हैं। ऐसी मुश्किल स्थिति में हींग का रोजाना आधा ग्राम सेवन करने से उपरोक्त विकृतियों से बचाव होता है। *
गंभीर रोगों में
आंतों के रोगों और कृमियों को ठीक करने के लिए हींग के पानी का एनीमा देने से लाभ होता है। मलेरिया के ज्वर में साइटिका वात, लकवा (लकवा), हिस्टीरिया अटैक, लाभकारी होता है। टाइफस के लक्षण दिखाई देने पर हींग कपूर की गोली देनी चाहिए।
यदि आप गोली निगलने में असमर्थ हैं, तो अदरक के रस में हींग को घिसकर जीभ पर लगाना चाहिए। इससे पल्स स्पीड में सुधार होता है।
हाथ-पैर का कांपना दूर हो जाता है। रोगी के हाथ-पैर पटकने, कपड़े फाड़ने, बड़बड़ाने आदि से अशांति शांत हो जाती है। कपूर वटी को हींग के साथ देने से घबराहट, चक्कर आना आदि रोगों में लाभ होता है।
प्रसव के समय हींग देने से गर्भाशय साफ होता है और गर्भाशय साफ होता है। गर्भाशय की शुद्धि होती है। डार्ड रुक जाता है। *
हिस्टीरिया में
हिस्टीरिया और हिस्टीरिया के कारण होने वाले रोगों में हींग का प्रयोग बहुत कारगर होता है। ग्लोबस हिस्टीरिया जिसमें रोगी को पेट के अंदर से एक सर्पिल महसूस होता है जो छाती की ओर गले की ओर बढ़ता है और उसे दौरा पड़ता है। इस रोग में डॉक्टर की सलाह के अनुसार हींग कपूर का सेवन करना चाहिए।
दाद
दाद पर हींग लगाने से दाद नष्ट हो जाता है। * शाम के समय कान में, आवाज और बहरेपन में हींग और सोंठ के चूर्ण से चार गुना सरसों का तेल लें और चार गुना तेल में चार गुना अपोमर्ग का पंचांग रस मिलाकर गरम करें । तेल गरम करते समय चट – चट की ध्वनि होगी । जब ध्वनि बंद हो जाए , तब तेल उतार लें और ठंढा होने पर छानकर शीशी में भर लें । यह सिद्ध तेल कान में डालने पर कान में आवाज होना तथा बहरापन दूर होता है ।
पेट दरद
आधा तोला हींग गरम पानी में घोलकर पिचकारी द्वारा गुदा – मार्ग से देने से लाभ होता है । *
पेट की गैस
250 मि . ग्राम हींग लेकर एक गिलास गरम पानी के साथ रोगी को पिला दें , लाभ होगा । यह प्रयोग पाचनशक्ति और भूख बढ़ाता है । *
अपच रोग में
– अपच होने पर खट्टी डकारें आती हों तथा थोड़ा – थोड़ा दस्त होता हो , पेट में वायु भरी हो तो 250 मि . ग्राम हींग को घी लगाकर निगलवा दें । तेज दरद हो तो पेट पर अरंडी का तेल लगाकर गरम पानी से सेंकना भी चाहिए । *
दाँतदरद में
10 मि . ग्रा . हींग तेल में मिलाकर मुँह में भरकर रखें । 5 मिनट बाद थूक दें और गरम पानी में हींग मिलाकर कुल्ले करें ।
हिचकी में
वातज हिचकी में हींग और उड़द का धुआँ देने से हिचकी बंद हो जाती है ।
पेशाब रुकने पर
वायु उत्पन्न होकर पेशाब में रुकावट होने पर 250 मि . ग्राम हींग और छोटी इलायची का 1 ग्राम चूर्ण 1-1 घंटे बाद जल के साथ 3-4 बार देने से पेशाब साफ आ जाता है । यह उत्तम लाभदायक प्रयोग है ।
बिच्छू के दंश पर
हींग को आक के दूध में घिसकर तुरंत दंशस्थल पर लेप करने से विष का प्रभाव नष्ट हो जाता है ।
पुराना घाव ( घाव बिगड़ जाने पर ) –
लंबे समय तक घाव में बदबू होने पर उसे ठीक करने के लिए नीम के ताजे पत्ते 25 ग्राम और 1 ग्राम हींग मिलाकर घी के साथ पीसकर पुलटिस बनाकर बाँधने से घाव के कीड़े मर जाते हैं । घाव जल्दी ठीक हो जाता है । यह प्रयोग कुछ दिनों तक नित्य करते रहने से पूर्ण लाभ होगा ।
कुक्कुर खाँसी में –
हुपिंग कफ की द्वितीय अवस्था में जब खाँसी के साथ दौरे आने लगें , तब 3-3 घंटे में आधा ग्राम हींग को घी के साथ सेवन कराएँ । हींग कपूर वटी बनाने का तरीका हींग और कपूर 10-10 ग्राम लेकर शहद में घोंटकर 1-1 ग्राम की गोलियाँ बना लें । ये अनेक रोगों में काम आती हैं ।
मात्रा -1 से 2 गोली दिन में तीन बार । अनुपान – पानी , दूध , शहद या अदरक के रस के साथ सेवन कराना चाहिए ।यह वात प्रकोप के कारण उत्पन्न सन्निपात , मंद – मंद प्रलाप , बुद्धिभ्रम , हिस्टीरिया आदि में उपयोगी है ।
हिंग्वाष्टक चूर्ण बनाने की विधि
– सोंठ , काली मिर्च , पीपल , सफेद जीरा , काला जीरा , अजमोद , सेंधा नमक बराबर की मात्रा में तथा शुद्ध हींग घी में भुनी हुई आधा भाग लेकर , पीसकर चूर्ण बना लें । इसे 3 ग्राम की मात्रा में भोजन के पहले लेने से अनेक प्रकार के उदर विकार मिटते हैं ।
अंतिम शब्द
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