Board Exam Ki Taiyari Kaise Kare – बोर्ड एग्जाम की तैयारी कैसे करे ?

Board Exam Ki Taiyari Kaise Kare – बोर्ड एग्जाम की तैयारी कैसे करे ?

Board Exam Ki Taiyari Kaise Kare परीक्षा के समय तनाव का होना एक ऐसा सच है , जिससे अधिकांश परीक्षार्थी दो – चार होते हैं । कई बार तो यह तनाव इस कदर हावी हो जाता है कि व्यक्ति गहरे अवसाद में चला जाता है । कई लोग तो परीक्षाओं के आते – आते हाथ खड़ा कर देते हैं व इसके दबाव में परीक्षा ही छोड़ देते हैं । कुछ इस तनाव के कारण परीक्षा में अपना श्रेष्ठतम प्रदर्शन भी नहीं कर पाते । परीक्षा का सामना पूरी तैयारी के साथ कैसे करें , जिससे कि श्रेष्ठतम प्रदर्शन संभव हो प्रस्तुत हैं ऐसे कुछ सूत्र ।

नियमित पढाई की कार्ययोजना बनाये

नियमित पढ़ाई की ठोस कार्ययोजना बनाएँ , क्योंकि परीक्षा के लिए पूर्व से सुनियोजित तैयारी ही सर्वश्रेष्ठ रणनीति रहती है ।

नियमित रूप में पढ़ाई का व्यवहारिक लक्ष्य निर्धारित हो , जिसमें कि उपलब्ध समय , इसके अंतर्गत पूरे किए जाने वाले अध्ययन कार्य का स्पष्ट लेखा – जोखा हो । फिर बड़े लक्ष्य को छोटे – छोटे टुकड़ों में बाँटकर पूरा करने की अनुशासित कार्य योजना पर अमल भी किया जाए । ऐसे में नियमित आधार पर अपनी प्रगति का आंकलन हमें , हमारी तैयारी के प्रति आश्वस्त रखता है और सहर्ष परीक्षा का सामना करने की स्थिति बनती है ।

नोट्स बनाते रहे

नोट्स समय पर बनाते रहें , क्योंकि परीक्षा के पूर्व नोट्स का न होना तनाव का एक बड़ा कारण बनता है ।

अचानक एक साथ कई विषयों की तैयारी सामने आने पर हाथ – पैर फूल जाते हैं । इसलिए पढ़ाई के साथ नियमित रूप में नोट्स भी बनते रहें , जिससे कि परीक्षा आने पर पढ़ाई एवं पुनरावृत्ति ( रिवीजन ) का काम सरल हो सके । इसके लिए कक्षा के साथ पुस्तकालय में कुछ समय बिताने का क्रम अभीष्ट रहता है ।

नोट्स का नियमित रिवीजन करे

नोट्स के साथ नियमित पुनरावृत्ति ( रिवीजन ) महत्त्वपूर्ण है , जिससे विषय याद रहता है अन्यथा विषय विस्मृति के गर्त में चला जाता है । शोध के आधार पर पाया गया है कि हम 24 घंटे में 67 फीसदी विषय भूल जाते हैं । अतः नियमित रिवीजन करने पर विषय कंठस्थ रहता है और परीक्षा के समय कार्य सरल हो जाता है ।

यदि हम एक ही विषय पढ़ते – पढ़ते थक जाते हैं तो विषयों की अदला – बदली की जा सकती है , क्योंकि विषयों को बदलने से रुचि बनी रहती है और कम समय में अधिक पढ़ाई संभव होती है । शुरुआत हम सरल विषयों से कर सकते हैं व धीरे – धीरे कठिन विषयों को हाथ में ले सकते हैं ।

यदि मनःस्थिति अनुकूल हो तो कठिन विषयों से भी शुरुआत कर सकते हैं । हमारी मनःस्थिति अधिकांश समय पढ़ाई के अनुकूल बनी रहे , यह भी जरूरी होता है ।

शांत व एकांत होकर पढाई करे

पढ़ाई के लिए अनुकूल परिवेश बहुत उपयोगी रहता है । कहने की आवश्यकता नहीं कि पढ़ाई के लिए घर का शांत व एकांत कोना या कमरा उपयुक्त रहते हैं । पढ़ाई की मेज सुव्यवस्थित हो , जिससे कि आवश्यक पुस्तकें , कॉपी या पढ़ने – लिखने की सामग्री आवश्यकता पड़ने पर आसानी से उपलब्ध हो सके – ये जरूरी है । टेबल का अस्त – व्यस्त होना , समय पर आवश्यक सामग्री का उपलब्ध न हो पाना तनाव का कारण बनता है ।

स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे

उचित आहार , विश्राम एवं निद्रा का अपना महत्त्व है । पढ़ाई के लिए उचित आहार लेना आवश्यक है । पेट जितना हल्का रहे , ठीक रहता है । जंक फूड लेने से बचें , जो पेट और सर दोनों को भारी कर देता है । कठिन श्रम के साथ विश्राम एवं निद्रा का भी उचित अनुपात रखें , जो मन की ग्रहणशीलता को उच्च स्तर पर बनाए रखने में सहायक होगा । बीच – बीच में टहलने का तरीका भी अपना सकते हैं , जिससे कि तन व मन एक नई ऊर्जा के साथ कार्य करने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

बेवजह समय व्यर्थ न करे

परीक्षा के दौरान बाहरी व्यवधानों से यथासम्भव दूर रहें । स्मार्ट फोन इसमें एक प्रमुख बाधा बनता है । अतः परीक्षा की तैयारी के दौरान सोशल मीडिया से यथासम्भव दूर ही रहें । साथ ही यार – दोस्तों की समय बर्बाद करने वाली संगत से बचें , अनावश्यक गप्पबाजी से भी दूर रहें । गलत संगत से अकेला भला , की उक्ति यहाँ उचित रहती है । इस दौरान अत्यधिक बहिर्मुखी कार्यों से भी बचें ।

अनुकूल वातावरण का आनंद ले

प्रकृति का सान्निध्य परीक्षा के तनाव को दूर करने में बहुत सहायक सिद्ध होता है । घर के आंगन , छत या बालकनी के गमलों में हरियाली को पास रखना एक प्रशांतक प्रयोग सिद्ध होता है । शहरों में पार्क तथा गाँव में खेत – खलिहान , बाग या नदी – झील के किनारे , पढ़ाई को अच्छे से करने के लिए अनुकूल स्थान सिद्ध होते हैं ,

जहाँ मन प्रकृति के बीच सहज रूप से शांत एवं एकाग्र हो जाता है । यदि इतनी तैयारी के साथ आप परीक्षा का सामना करते हैं , तो कोई कारण नहीं कि परीक्षा के पूर्व आप तनावग्रस्त होंगे , बल्कि परीक्षा आपके लिए एक रोचक अनुभव सिद्ध होगी ।

मनपसंदीदा कार्य करे

तैयारी के दौरान भी परीक्षा को हौवा न बनने दें बल्कि बीच – बीच में अपने मनपसंदीदा कार्य , जैसे – खेल – कूद , मनोरंजन , भ्रमण आदि को भी स्थान दें । ऐसे छोटे – छोटे प्रयोग मन को प्रशांत एवं ओजस्वी बनाने वाले साबित होंगे ।

यहाँ अभिभावकों का भी यह कर्तव्य बनता है कि वे अपने बच्चों पर सर्वाधिक नम्बरों या परिणाम के लिए अनावश्यक दवाव न डालें । अपनी अधूरी महत्त्वाकांक्षाओं का बोझ बच्चों के कोमल कंधों पर न थोपें , बल्कि एक सच्चे शुभचिंतक की भाँति उनके श्रेष्ठतम प्रदर्शन में सहायक बनें ।

अंतिम शब्द

इस लेख में आपको बोर्ड एग्जाम की तैयारी कैसे करे ? इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारिया मिली हमें यकीन है की आप सभी पाठको को यह काफी पसंद होगा

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