कोलेस्ट्रॉल क्या है , इसके कारण , लक्षण और रोकथाम
आज के इस लेख में cholesterol kya hai , कोलेस्ट्रॉल कम करने का रामबाण इलाज , कोलेस्ट्रॉल कैसे बढ़ता है , एच डी एल कोलेस्ट्रॉल क्या है , कोलेस्ट्रॉल में क्या नहीं खाना चाहिए के बारे में जानेंगे।
हानिकारक कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना यह भी आधुनिक जीवनशैली का ही रोग है , जिसे खान – पान , रहन – सहन का सुधार , प्राकृतिक जीवनशैली अपनाकर घर पर भी कम कर सकते हैं ।
वस्तुतः मानवरक्त में कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है । एक अच्छा ( गुड ) कोलेस्ट्रॉल दूसरा खराब ( बैड ) कोलेस्ट्रॉल । गुड कोलेस्ट्रॉल को एच.डी.एल. अर्थात हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन कहते हैं , जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल को एल.डी.एल अर्थात लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन कहते हैं । यह सामान्य से अधिक बढ़ता है तो धमनियों में रक्त परिसंचरण में रुकावट होती है ,
इसी कारण हृदयाघात ( हार्ट अटैक ) , उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लड प्रेशर ) तथा ब्रेन – स्टोक , पक्षाघात ( पेरालाइसिस ) , किडनी फेल होना जैसी जानलेवा एवं कष्टसाध्य बीमारियों की संभावना रहती है । अच्छा तो यह है कि यह रोग होने के पूर्व ही सावधानी बरतें , जिससे आने वाले कष्टों से बच सकें । रहन – सहन , खान – पान की आदतों में परिवर्तन करना अनिवार्य होता है ।
हानिकारक कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण
- तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन करना , जिससे रक्त की अम्लता में वृद्धि होना ।
- मैदा के बने खाद्य पदार्थों का सेवन करना जैसे – मठरी , कचौड़ी , समोसा , नूडल्स , चाऊमीन , पिज्जा , बरगड़ , ब्रेड , पाव , जलेबी आदि ।
- सफेद आटा ( बिना चोकर का ) , सफेद चावल ( पॉलिशवाला ) का सेवन तथा सफेद नमक , सफेद चीनी का अधिक सेवन करना ।
- दूध से बनी मिठाइयों का अधिक सेवन करना ।
- कृत्रिम मक्खन की टिकिया का प्रयोग करना ।
- वनस्पति घी से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करना
- धूम्रपान , मांसाहार , शराब का सेवन करना ।
- मानसिक तनाव , क्रोध , अनियंत्रित गुस्सा करना । इनसे अंतःस्रावी ग्रंथि के स्राव बढ़ने से वसा का चयापचय प्रभावित होता है फलतः कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है ।
- फल , सब्जी , चोकर एवं सलाद का सेवन कम करने से रेशा की मात्रा इनमें अधिक होती है रेशा ( फाइबर ) की कमी से ] भी कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है ।
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के घरेलू उपाय
- चोकरयुक्त आटे की रोटी खाएँ । हरी सब्जियों , सलाद एवं फल की मात्रा बढ़ाएँ ।
- सरसों का तेल ( कच्ची घानी का ) या सूरजमुखी का तेल उपयोग करें , परंतु मात्रा कम ही हो ।
- हरी पत्तेदार शाक – सब्जी , पत्तागोभी , सफेद कद्दू ( पेठा ) , टमाटर , गाजर , अमरूद , सेब , पपीता , लौकी , खीरा , संतरा , अंगूर का सेवन कीजिए । प्रतिदिन 2 अखरोट , 4 बादाम , 2 अंजीर , 10 मुनक्का पानी में रातभर भिगोए हुए का सेवन कीजिए । इनसे रक्त की क्षारीयता बढ़ेगी ।
- इसबगोल की भूसी नित्य 5 ग्राम अवश्य सेवन करें । ‘
- नित्य 5 ग्राम लहसुन , 5 ग्राम अजवायन का सेवन करें । धनिया के बीजों का काढ़ा , गेहूँ के जवारों का रस , करेला का रस , लौकी का रस , पेठे ( सफेद कद्दू ) का रस , खीरे का रस अधिक लाभप्रद होता है ।
- 50 ग्राम अंकुरित अनाज , 20 ग्राम अंकुरित मेथी , 30 ग्राम अलसी सेंककर नित्य सेवन कीजिए ।
- रात को देशी चना पानी में भिगोकर रखें ; प्रात : छानकर पानी पिएँ । चना का सेवन उबालकर या सेंककर भी कर सकते हैं ।
- दोपहर के भोजन के बाद गाय का दही 250 ग्राम ( बिना मलाई का ) लेकर मथ लें , उसमें 2 रत्ती भुनी हींग तथा सेंधानमक या कालानमक स्वादानुसार मिलाकर पिएँ ।
- हरी सब्जियों में लोवेस्टेटिन नामक फाइटोकेमिकल होता है , जो कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक होता है । हृदय रोगों से बचाता है , रक्त की अम्लता को कम करता है ।
- प्रातः की अमृतवेला में प्रसन्नचित्त होकर खुली प्राकृतिक हवा में सैर कीजिए । स्वयं प्रसन्न रहें , दूसरों को भी प्रसन्न रखिए , जिससे अंतःस्रावी ग्रंथियों से स्ट्रेस हॉर्मोन का स्राव न हो तथा हेप्पी हॉर्मोन का स्राव बढ़े , तनाव कम हो ।
- कपालभाति प्राणायाम अपनी क्षमता एवं अवस्थानुसार उचित मार्गदर्शन में करें ।
- शारीरिक श्रम को दैनिक जीवन में महत्त्व दें ।
- अलसी में लेसीथीन होता है , जो रक्त नलिका में कोलेस्ट्रॉल नहीं जमने देता है । अत : अलसी को प्राथमिकता दें ।
- लौकी का रस 2 माह तक दिन में 2 बार एक – एक कप पीना लाभप्रद होता है ।
- उपलब्ध फलों का रस प्रतिदिन सेवन कीजिए ।
- टमाटर का जूस या सूप पिएँ ।
कोलेस्ट्रॉल के उपचार , रोकथाम
- प्रातः ठंढा कटिस्नान का 10 मिनट उपचार लेकर प्रात : सैर करें ।
- पेट पर मिट्टी की पट्टी या पेट की गरम ठंढी सेंक का उपचार लेने के बाद एनिमा द्वारा बड़ी आँत की सफाई कर लेनी चाहिए ।
- सप्ताह में एक दिन धूप – स्नान तथा 2 दिन भाप – स्नान या गीली चादर लपेटकर चिकित्सा लेना लाभप्रद रहेगा ।
- गरम – ठंढा कटिस्नान तथा उष्ण पाद – स्नान भी लाभप्रद होता है ।
- सप्ताह में एक दिन तेल – मालिश का उपचार देना चाहिए ।
- प्रातः उषापान में गरम पानी ( नीबू का रस मिलाकर ) पिएँ । नीबू में नीमोलीन तत्त्व होता है , जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है । रक्त नलिकाओं की शुद्धि करता है ।
एक विशिष्ट प्राकृतिक नुसखा नीबू का रस एक कप , अदरक का रस एक कप , लहसुन का रस एक कप , ताजी हलदी का रस एक कप , चारों को मिलाकर उबालें और गाढ़ा कर लें ( तीन कप कुल औषधि रहे , तब तक उबालें ) तत्पश्चात ठंढा करके उसमें तीन कप शहद मिलाकर रखें , फ्रीज में भी रख सकते हैं । 2 चम्मच सुबह तथा 2 चम्मच शाम को बराबर मात्रा में पानी के साथ सेवन करें । 2 माह तक नित्य प्रयोग से रक्त नलिकाओं के ब्लॉकेज ( अवरोध ) दूर हो जाते हैं ।
आवश्यक पथ्य – परहेज का नियम बनाए रखें । यह चमत्कारिक लाभ देने वाला प्रयोग है ।
अंतिम शब्द
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