Healthy Kaise Bane हम सभी को भगवान उपहारस्वरूप यह शरीर मिला हुआ है और इसी के सहारे हमें अपने पूरे जीवन की यात्रा करनी है ।
Healthy Kaise Bane – स्वास्थ्य रहने के आसान उपाय
जिंदगी की दौड़ में प्रायः हम अपने इस शरीर के बारे में नहीं सोचते , जो हमेशा हमारा साथ देता रहा है और यह भी नहीं सोचते कि आगे भी तो उसका ही साथ लेना है और इसी लापरवाही का परिणाम होता है कि उम्र आने से पहले ही हमारा शरीर हमारा साथ छोड़ने लगता है
। उम्र से पहले ही आँखें कमजोर हो जाती हैं , दाँतों में दरद रहने लगता है और वे हिलने लगते हैं , समय से पहले ही हमारे बाल सफेद हो जाते हैं और असमय झड़ने लगते हैं , कानों से धीमा सुनाई देना शुरू हो जाता है ,
हाथों व पैरों के जोड़ों में दरद रहने लगता है , त्वचा में समय से पहले ही झुर्रियाँ आने लगती हैं और शरीर की त्वचा बूढ़े होने से पहले ही ढीली पड़ने लगती है और शरीर की पाचनशक्ति भी कमजोर होने लगती है ।
यह सब होता है , हमारे द्वारा लापरवाहीपूर्ण व गलत जीवनशैली अपनाने से । भगवान बुद्ध के अनुसार – हमारा शरीर बहुमूल्य है । यह हमें जाग्रत करने का माध्यम है ।
इसलिए इसकी सजगता से देख – भाल करें । हममें से ज्यादातर लोग अपने मन से अपने शरीर में रहते ही नहीं हैं और इसी कारण हमें अपने साँस लेने , हिलने – डुलने , शरीर के आकार प्रकार और महसूस करने की ताकत का अंदाजा ही नहीं होता ।
ज्यादा सोचना बंद करे
लोगों का अपनी सोचने – समझने की क्षमता पर ही ज्यादा ध्यान रहता है और वे प्रायः अपने शरीर व उसके महत्त्व को गैरजरूरी मान लेते हैं और दिमाग की ताकत को ज्यादा महत्त्व देते हैं ,
जैसे – ऑफिस वर्क , कंप्यूटर वर्क , पढ़ाई – लिखाई आदि , लेकिन इस दौरान गलत ढंग से बैठकर हम अपने शरीर में कई तरह की समस्याओं को आमंत्रित कर बैठते हैं और परिणामस्वरूप कमर दरद , पीठ दरद , पैरों व हाथों की उँगलियों में दरद , सिर में दरद आदि समस्याएँ झेलते हैं ।
प्राय : लोग चिंता व तनाव में इतना लिप्त हो जाते हैं कि उस दौरान उन्हें अपने शरीर पर ध्यान देने की नहीं सूझती ।
कार्यालय की मेज पर घंटों काम करते हुए बैठे रहना और तनाव को अपने साथ लिए रहना आधुनिक जीवनशैली की देन बन गया है और इस दौरान हम अपने शरीर की सक्रिय रहने की आवश्यकता से एकदम अनभिज्ञ रहते हैं ।
शैशवावस्था में बच्चे शारीरिक रूप से बहुत सक्रिय रहते हैं और उनका शरीर भी उतना ही स्वस्थ रहता है , लेकिन धीरे – धीरे बड़े होने पर उनकी शारीरिक सक्रियता कम होती जाती है और मानसिक सक्रियता बढ़ती जाती है ।
इसका परिणाम यह होता है कि उन्हें शरीर संबंधी कई तरह की समस्याएँ पैदा होने लगती हैं । जिस तरह मन के विकास के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ चिंतन व मानसिक गतिविधियों में संलग्न रहना जरूरी है , उसी तरह शरीर को स्वस्थ बनाए रखने व उसके उचित विकास के लिए स्वस्थ खान – पान व शारीरिक गतिविधियों की आवश्यकता है और यह खेल – कूद के माध्यम से , योग व्यायाम आदि के माध्यम से ही अच्छे से पूरी हो सकती है ।
खेलना कूदना चाहिए
खेल- कूद शरीर को स्वस्थ रखने का एक अच्छा माध्यम है ; क्योंकि इसके माध्यम से हम शारीरिक व मानसिक गतिविधियाँ एक साथ करते हैं और इसमें हमें तनाव लेने , चिंता करने या किसी से भयभीत होने की भी जरूरत नहीं होती ।
खेल – कूद में हम प्रायः लोगों के संपर्क में आते हैं , इससे हमारी व्यवहारिक कुशलता बढ़ती है और अन्य लोगों को समझने की परख भी हमारे – अंदर पैदा होती है । इस तरह खेल – कूद हमारे शरीर व । मन के संबंधों को सुधारने का एक अच्छा माध्यम है और – इसके माध्यम से हम अपने शरीर व मन , दोनों के प्रति सजग होते हैं ।
स्वास्थ्य भोजन का सेवन करे
शरीर व मन को स्वस्थ रखने का दूसरा माध्यम सात्त्विक व उचित भोजन है । ऐसा कहा भी गया है कि – जैसा खाए अन्न , वैसा बने मन । निश्चित रूप से ग्रहण किए जाने वाले भोजन का हमारे शरीर व मन , दोनों पर समान रूप से प्रभाव पड़ता है ।
भोजन के स्थूलतत्त्वों से हमारा शरीर पोषित होता है और इसके सूक्ष्मतत्त्वों के प्रभाव से हमारा मन पोषित होता है । इसलिए साधना करने वाले व्यक्तियों को सात्त्विक भोजन लेने की सलाह दी जाती है । क्योंकि सात्त्विक भोजन से मन शांत होता है व उसमें स्थिरता व प्रसन्नता आती है ।
अधिक तैलीय भोजन से बरते दुरी
सात्त्विक भोजन आसानी से पच भी जाता है और शरीर में इससे हलकापन भी आता है । चूंकि साधना के लिए मन का शांत , स्थिर , प्रसन्न व सहज होना बहुत जरूरी है , इसलिए साधना करने वाले व्यक्तियों का तामसिक व राजसिक भोजन करना वर्जित है , क्योंकि राजसिक भोजन से मन चंचल , अस्थिर व अशांत होता है और तामसिक भोजन जड़ता व आलस्य लाता है ।
तामसिक व राजसिक भोजन करने से शरीर को उसे पचाने में अधिक श्रम करना पड़ता है , साथ ही इससे शरीर में पाचन संबंधी बीमारियाँ भी पनप सकती हैं ।
तामसिक व राजसिक भोजन में स्वाद तो बहुत होता है , लेकिन उसमें पोषक तत्त्वों की कमी होती है , जिसके कारण हमारे शरीर के अंग – अवयव पुष्ट नहीं हो पाते , ऐसा भोजन करने से हमारा पेट तो भर जाता है , लेकिन शरीर को जरूरी पोषक तत्त्व न मिल पाने से वह कमजोर रह जाता है ।
अत : ऐसा भोजन मोटापा तो बढ़ाता है , लेकिन शरीर में शक्ति व क्षमता की वृद्धि नहीं करता । अत : व्यक्ति की शारीरिक शक्तियाँ व क्षमताएँ असमय ही कमजोर हो जाती हैं ।
ताजा फल खाने की आदत बनाये
वर्तमान में हर वस्तु पैकेट में मिलने लगी है , जिसमें उसे खराब न होने देने के लिए कई तरह के प्रिजरवेटिव्स ( संरक्षक पदार्थ ) का उपयोग किया जाता है , जो कि हमारे स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसानदायक होते हैं । पैकेट व डिब्बाबंद भोजन करने की आदतों को अपनाने के कारण हम ताजा भोजन व ताजे फल खाने की अपनी परंपरा को भुलाते जा रहे हैं ।
इन सबका नतीजा यह है कि हमारा शरीर भी स्वस्थ व तरोताजा महसूस नहीं कर पाता और मन भी असहज बना रहता है । यदि हमें अपने शरीर व मन को लंबे समय तक स्वस्थ रखना है तो इन परंपराओं का निर्वहन करना होगा ।
मन के मनोरंजन के लिए तो हम बहुत से कदम उठाते हैं , परंतु शरीर का भी उतना ही ध्यान हमें रखने की जरूरत है , ताकि वो हमारी जीवनयात्रा में मजबूत सहयोगी की भूमिका निभा सके ।
उम्मीद करते है की आज का पोस्ट Healthy Kaise Bane – स्वास्थ्य रहने के आसान उपाय आपको पसंद आया होगा। दोस्तों अगर आप इन तरीको को अपने जीवन में एक सही ढंग से करते है , तो आपको जरूर ही स्वस्थ्य में सफलता मिलेगी