Class 10th Sanskrit Objective Question Matric Exam 2021 | Sanskrit Model Paper 2021 || संस्कृत कक्षा-10 मङ्गलम् Objective Question In Hindi
1. ‘ मङ्गलम् ‘ नामक पाठ कहाँ से संग्रहीत है ?
( क ) पुराण से ( ख ) उपनिषद् से
( ग ) ब्राह्मण ग्रंथ से ( घ ) वेद से
2. ‘ मङ्गलम् ‘ पाठ में कुल कितने मंत्र है?
( क ) पञ्च ( ख ) सप्त
( ग ) चत्वारः ( घ ) नव
3. हिरण्यमयेन पात्रेण ………. सत्यधर्माय दृष्टये ॥ मंत्र किस उपनिषद् से स्वीकृत है ?
( क ) केनोपनिषद् ( ख ) मुण्डकोपनिषद्
( ग ) कठोपनिषद् ( घ ) ईशावास्योपनिद्
4. अणोरणीयान् महिमानमात्मनः ॥ यह मंत्र किस उपनिषद् से संकलित है?
( क ) श्वेताश्वरोपनिषद् ( ख ) ऐतरेयोपनिषद्
( ग ) ईशावास्योपनिषद् ( घ ) कठोपनिषद्
5. ‘ सत्यमेव जयते ‘ नामक मंत्र किस उपनिषद् से लिया गया है?
( क ) मुण्डकोपनिषद् ( ख ) माण्डूक्योपनिषद्
( ग ) श्वेतोपनिषद् ( घ ) कठोपनिषद्
6. यथा नद्यः स्वन्दमानाः ……… उपैति दिव्यम् ।। किससे संकलित है?
( क ) केनोपनिषद् ( ख ) कठोपनिषद्
( ग ) मुण्डकोपनिषद् ( घ ) मन्त्रीपनिषद्
7. वेदाहमेतं पुरुष …….. विद्यतेऽयनाय ।। मन्त्र किस उपनिषद् से संगृहीत है?
( क ) श्वेताश्वतरोपनिषद् ( ख ) माण्डूक्योपनिषद्
( ग ) केनोपनिषद् ( घ ) वेदोपनिषद्
8. ‘ मङ्गलम् ‘ पाठ के मन्त्रों का वर्णन किस शास्त्र शैली में वर्णित है ?
( क ) दर्शनशास्त्र ( ख ) व्याकरण शास्त्र
( ग ) शिक्षा शास्त्र ( घ ) कल्प शास्त्र
9. अणोः अणीयान् कः ?
( क ) हृदयम् ( ख ) आत्मा
( ग ) मनः ( घ ) बुद्धिः
10. महतो महीयान् कः ?
( क ) पर्वतः ( ख ) गजः
( ग ) ईश्वरः ( घ ) आत्मा
11. उपनिषदों में प्रधान रूप से किसकी महिमा बताई गई है ?
( क ) परमात्मा ( ख ) जीव
( ग ) संसार ( घ ) ब्रह्माण्ड
12. यह जगत् किसके द्वारा अनुशासित है ?
( क ) दानव ( ख ) परमात्मा
( ग ) मनष्य ( घ ) जन्त
13. ब्रह्मणः / सत्यस्य मुखं केन पात्रेण अपिहितम् अस्ति?
( क ) लौहमयेन पात्रेण ( ख ) मनोमयेन पात्रेण
( ग ) हिरण्यमयेन पात्रेण ( घ ) मृण्मयेन पात्रेण
14. पूषा कस्मै सत्यस्य मुखेम् अपावृणुयात् ?
( क ) सत्यधर्माय ( ख ) क्षमाशीलाय
( ग ) ज्ञानाय ( घ ) विद्यायै
15. किं जयते ?
( क ) धनमेव ( ख ) सत्यमेव
( ग ) बलमेव ( घ ) शक्तिरेव
16. देवयानः पन्थाः केन विततः अस्ति?
( क ) जलेन ( ख ) मार्गेन
( ग ) बलेन ( घ ) सत्येन
17. नछः के विहाय समुद्रे अस्तं गच्छन्ति?
( क ) नामरूपे ( ख ) शक्तिरूपे
( ग ) जलरूपे ( घ ) जनरूपे
18. साधकः पुरुष विदित्वा कम् अत्येति?
( क ) जीवनम् ( ख ) मृत्युम्
( ग ) मोक्षः ( घ ) स्वर्ग :
19. कस्य गुहायाम् अणो अणीयान् आत्मा निहितः अस्ति?
( क ) हृदयरूपीगुहायाम् ( ख ) पर्वतरूपी गुहायाम्
( ग ) मनरूपी गुहायाम् ( घ ) उदररूपी गुहायाम्
20. आप्तकामाः ऋषय: केन पथा सत्यं प्राप्नुवन्ति?
( क ) देवयानेन ( ख ) बलेन
( ग ) रथेन ( घ ) वायुयायेन
21. विद्वान् कीदृशं पुरुषं वेत्ति?
( क ) परात्परं दिव्यं पुरुषम् ( ख ) सांसारिक सामान्यं पुरुषम्
( ग ) अहंकारी पुरुषम् ( घ ) विनयशील पुरुषम्
22. स्यन्दमाना: नद्यः कुत्र मिलन्ति?
( क ) समुद्रे ( ख ) पर्वते
( ग ) सरोवरे ( घ ) कूपे
23. उपनिषदः रचनाकारः कः?
( क ) कालिदासः ( ख ) चाणक्यः
( ग ) बाणभट्टः ( घ ) वेदव्यासः
24. प्रायशः उपनिषदों के आदि और अंत में क्या लिखा गया है ?
( क ) शान्तिपाठ ( ख ) धनपाठ
( ग ) अनुशासनपाठ ( घ ) रसपाठ
25.क्दान्त दर्शन का आधार ?
( क ) नीतिशतक ( ख ) उपनिषद्
( ग ) गीता ( घ ) आरण्यक
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परीक्षार्थियों के लिए निर्देश : – प्रश्नपत्र में लघु उत्तरीय प्रश्नों की संख्या पन्द्रह रहती हैं इनमें से किन्हीं आठ प्रश्नों के उत्तर लिखने हैं । प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का होता है । शब्द सीमा 30-40 रहेगी ।
प्रश्न 1. मालम् पाठ का परिचय लिखें ।
उत्तरम् – हमारी पाठ्यपुस्तक पीयूषम् ( द्वितीयों भागः ) के प्रथम पाठ का नाम ‘ मङ्गलम् ‘ है । इस पाठ में पाँच मन्त्र क्रमश : ईशावास्य , कठ , मुण्डक माण्डूक्य तथा श्वेताश्वर नामक उपनिषदों से संकलित है । ये मङ्गलाचरण के रूप में पठनीय है । वैदिक साहित्य में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में ‘ उपनिषदों का महत्व है । इसे पढ़ने से परमसत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है सत्य के अन्वेषण की प्रवृत्ति जागृत होती है । उपनिषद् – गन्थों का सम्बन्ध विभिन्न वेदों से हैं । उपनिषद् संवादशैली में लिखी गई हैं ।
प्रश्न 2. मङ्गलम् ‘ पाठ के आधार पर आत्मा के स्वरूप को स्पष्ट करें
उत्तरम् – कठोपनिषद् के मन्त्र में आत्मा की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि यह आत्मा अत्यन्त सक्ष्म तथा विशालतम भी है । यह प्रत्येक जीव के हृदयरूपी गुफा में निवास करता है । कर्म बन्धन से मुक्त तथा शोकरहित व्यक्ति ईश्वरीय कृपा से आत्मा के स्वरूप को जान पाता है ।
प्रश्न 3. ‘ मङ्गलम् ‘ पाठानुसार सत्य से साक्षात्कार कैसे हो
उत्तरम् – ‘ मङ्गलम् ‘ पाठ के ईशावास्योपनिषद् के मन्त्र में सत्य का स्थान बताया गया है । इसमें कहा गया है कि सत्य का मुख सोना नामक धातु के आवरण से ढंका हुआ है अर्थात् सांसारिक माया – मोह के चादर से ढंका हुआ है । इसलिए सत्य और धर्म से साक्षात्कार के लिए माया – मोह के बंधन से ऊपर उठना होगा ।