गणतंत्र दिवस पर निबंध – Republic Day Essay In Hindi
गणतंत्र दिवस निबंध हिंदी में 300 Words
गणतन्त्र दिवस 26 जनवरी , 1950 की याद में हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है । इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था । गणतंत्र का शाब्दिक अर्थ – समूह द्वारा संचालित शासन व्यवस्था है । भारत में यह दिन राष्ट्रीय त्योहार और उल्लास का दिन माना जाता है क्योंकि यह हमारी स्वतंत्रता की अविस्मरणीय स्वर्णिम वर्षगांठ है । यह हमारी प्रतिज्ञाओं और तपस्याओं का स्मृति दिवस है ।
हमारे महान् शहीदों का तर्पण त्योहार है । इस दिन का मुख्य आकर्षण सैनिक परेड है । इस परेड में सेना के तीनों अध्यक्ष राष्ट्रपति का स्वागत करते हैं । राष्ट्रपति दिल्ली के लाल किले पर झण्डोत्तोलन करते हैं । इसके बाद देश की सुरक्षा के लिए बने हथियारों का प्रदर्शन होता है । इस अवसर पर शोभा यात्रा निकाली जाती है ।
दिल्ली की तरह सम्पूर्ण देश में गणतंत्र दिवस उल्लास के साथ मनाया जाता है । राज्यों की राजधानियों में भी समारोह आयोजित किए जाते हैं । इससे हमारे देश – प्रेम एवं राष्ट्रीय गौरव को बढ़ावा मिलता है । इस दिन विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य करने वाले को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित करते हैं ।
अत : 26 जनवरी प्रेरणा और प्रतिज्ञा का दिवस है । जिस स्वतंत्रता को हमने रक्त की होली खेलकर अर्जित की है उसकी हर हाल में रक्षा करना हम भारतवासियों का परम कर्तव्य है । इस दिन हमें अपने कर्तव्यों की याद ताजी करनी चाहिए , जिन्हें पूरा करके देश को समृद्ध और खुशहाल बना सकते हैं ।
हमारा गणतंत्र दिवस मनाना तभी सार्थक होगा , जब हमारे हृदय में यह स्वर [ जें ” जिए तो सदा इसी के लिए यही अभिमान रहे यह हर्ष ” निछावर कर दे हम सर्वस्व , हमारा प्यारा भारतवर्ष । ‘ अस्तु , 26 जनवरी एक महिमामयी तिथि है । इसके पीछे भारतीय आत्मा के त्याग , तपस्या और बलिदान की अमर कहानी निहित है ।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर निबंध हिंदी में
” सिहासन खाली करो कि जनता आती है ‘ ‘ उद्घोष करती हुई 26 जनवरी आयी । 26 जनवरी भारतीय इतिहास में चिरस्मरणीय दिवस है । प्रत्येक वर्ष इस दिन भारतीय जनता बड़े ही हर्षोल्लास के साथ अपना गणतंत्र दिवस मनाती है । दीपावली एवं विजयादशमी धार्मिक पर्वो के समान ही 26 जनवरी हमारे लिए राष्ट्रीय पर्व है । सदियों तक हमारा देश गुलाम था ।
15 अगस्त , 1947 ई . को यह स्वतंत्र हुआ और 26 जनवरी , 1950 ई . को गणतन्त्र घोषित किया गया है । किसी भी देश के संविधान का अर्थ है – कानूनों एवं नियमों का ऐसा संग्रह जिसके आधार पर शासन चलाया जाता है तथा शासन के विभिन्न अंग अपने अधिकारों का प्रयोग करते है । राज्य के शासन को शान्तिपूर्ण तथा कुशलतापूर्वक संचालित करने के लिए संविधान का होना आवश्यक है ।
स्वतंत्रता के बाद संविधान के प्रारूप पर विचार करने के लिए प्रारूप – समिति बनाई गई जिसके सभापति डॉ . भीम राव अम्बेदकर थे । संविधान – सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसम्बर , 1946 ई . को डॉ . सच्चिदानन्द सिन्हा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ ।
11 दिसम्बर , 1946 ई . को हुई सभा की बैठक में डॉ . राजेन्द्र प्रसाद को इसका स्थायी अध्यक्ष चुना गया । वी . , एन . राव को इसका सांविधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया । संविधान के निर्माण में 2 वर्ष के महीना , 18 दिन लगे । 26 नवम्बर , 1949 को इसे अन्तिम रूप से स्वीकार कर लिया गया । इसके बाद यह संविधान 26 जनवरी , 1950 ई . को भारत में लागू कर दिया गया । अब प्रश्न यह उठता है कि 26 जनवरी को ही स्वतंत्र भारत के नवनिर्मित संविधान के कार्यान्वयन के लिए क्यों चुना गया ? इसका भी एक इतिहास है ।
हमें अच्छी तरह याद है कि 26 जनवरी , 1930 ई . को जब हम ‘ रावी ‘ के पुनीत तट पर एकत्र हुए थे , तो रावी की चंचल लहरों ने हमसे कहा था , ” तुम मनुष्य होकर भी गुलामी पसंद करते हो ? धिक्कार है तुम्हें ! ऊपर देखो – आकाश में पक्षी उड़े जा रहे है । सोने के पिंजड़े इन्हें भी पंसद नहीं । पिंजड़ा , पिजड़ा ही है , सोने – चांदी का हो या लोहे का । बंधन , बंधन ही है । हवा को देखो , वह निर्बन्ध है । छोटे से – छोटा बन्धन भी उसे स्वीकार नहीं । ‘ ‘ हमारा उत्साह जगा । हम में जागृति आई । रावी ने हमें गति दी , हवा ने हमें उत्तेजना प्रदान की । सूरज से हमारे शरीर को गर्मी मिली और चाँद से हृदय को शीतलता ।
सुबह ने अपनी स्वच्छता प्रदान की , मध्याह्न ने अपना ताप और रात्रि ने अपनी स्निग्धता । आकाश और पृथ्वी को साक्षी बना हमने प्रतिज्ञा की , ” स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार ” है । इस अधिकार को हम प्राप्त करके ही दम लेगे । ” 26 जनवरी , 1930 ई . तो चली गयी , पर उस दिन जो चेतना जगी उसका अन्त नहीं हुआ । उस दिन की अंगड़ाई के बाद फिर हम सो नसके ।
समय आगे बढ़ा और साथ – ही – साथ हम भी आगे बढ़े । पथ के काँटे हमें रोक नहीं सके । प्रतिवर्ष ठीक समय पर 26 जनवरी आती है और हमे उत्साहित तथा उत्तेजित करती है ।
हमें नवम्फूर्ति प्रदान करती और हमारी प्रतिज्ञा की याद दिलाती है । इस तिथि को हम अपनी वही प्रतिज्ञा दुहराते है । वह दिन भी आया जब हमारी प्रतिज्ञा पूरी हुई । हम स्वतत्र हुए । रावी की घाटी यह सन्देश सुनकर फूल उठी । जिस 26 जनवरी दिवस ने हम अपनी प्रतिज्ञा की पूर्ति के लिए स्वतंत्रता की बोल वेदी पर अपने – आप को , अपने सर्वस्व को , अपने सुख – सौभाग्य को होम करते देखा था ;
उसी ने हमें स्वतंत्र देखा । उसने हमारे जनतंत्र को देखा , सिर्फ देखा ही क्यों , वह स्वयं जनतंत्र की प्रतिष्ठा बन गया । इस गणतंत्र की पृष्ठभूमि में तिलक , गोखले , गाँधी , जवाहर , सुभाष , श्रीकृष्ण , राजेन्द्र , पटेल इत्यादि की साधना एवं तपस्या है । हमें यह स्मरण दिलाता है कि भारत में सभी मनुष्य बराबर हैं , भाई – भाई हैं । प्रतिवर्ष हम 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं । प्रत्येक घर एवं संस्था के ऊपर राष्ट्रीय झण्डा फहराया जाता है । हम आत्मदृढ़ता से बन्दनवार सजाते हैं । आत्मसंयम का जल छिड़क कर जन्मभूमि को पवित्र करते हैं । स्वतंत्रता की थाली में आपस के भेद – विभेद के धूप जलाकर उसकी आरती करते हैं ।