Sapno Ka Rahasya सपनो का क्या रहस्य है ? सपनो का अजूबे रहस्य , सपनो के बारे में अद्भुत जानकारी
हमारे जीवन का सपनों से एक गहरा ताल्लुक है क्योंकि सपनों में हम कुछ देखते हैं , कुछ महसूस करते हैं । हर रात्रि जब हम सोते हैं , तो सपनों की सुनहरी दुनिया में कहीं खो जाते हैं । ये दुनिया कभी रंगीली प्रतीत होती है , तो कभी डरावनी । कभी विकिा सी दिखती है , तो कभी अबूझ पहेली की तरह ।
सपनों की दुनिया चाहे कैसी भी हो , लेकिन यह तो स्पष्ट है कि इससे हमारा कोई – न – कोई सबन्ध है , तभी तो हम इसकी दुनिया में प्रवेश करते हैं और थोड़े ही समय के लिए सही , इसे हम जी पाते हैं ।
Sapno Ka Rahasya In Hindi – सपनो का रहस्य हिंदी में
सपनों की यह दुनिया एक रहस्य का विषय है , अचरज का विषय है ,क्योंकि इस दुनिया में जितने लोग हैं , उतने ही तरह के अलग – अलग सपने लोगों को दिखा करते हैं , ये सपने कभी कभी किसी के एक जैसे भी हो सकते हैं , लेकिन प्रायः हर व्यक्ति का प्रत्येक सपना मौलिक होता है ।
यह सच है कि सपने मायारूप हैं , इनका वास्तविकता के धरातल से कोई सबन्ध नहीं है लेकिन फिर भी सपने कुछ कहते हैं , कुछ इशारा करते हैं , हमें कुछ महसूस कराना चाहते हैं और कुछ नहीं तो सपने हमें कुछ समय के लिए ही सही वास्तविक दुनिया से भिन्न एक अन्य दुनिया में ले जाते हैं , जो कल्पनातीत होती है ।
जब कोई सपना हम पूरा देखते हैं और फिर जागते हैं , तो हम तरोताजा महसूस करते हैं लेकिन जब सपना देखते समय कोई हमें बीच में ही झकझोर कर उठा देता है , तो कुछ समय के लिए हम बेचैन हो जाते हैं , परेशान होते हैं और गुस्से में आकर कभी – कभी बोल देते हैं कि हम सपना देख रहे थे , इसे पूरा तो देखने देते ।
इसका तात्पर्य है कि सपने देखने में हमें अच्छा महसूस होता है , सपनों में भी एक रस होता है , जिसे हम पाना चाहते हैं , अनुभव करना चाहते हैं ।
जब कभी हम अच्छा सपना देखते हैं , तो उसे देखते रहने का मन करता है और जब कभी हम बुरा सपना देखते हैं और बीच में हमारी नींद टूट जाती है , तो जागने पर यही लगता है कि चलो ये हकीकत नहीं था , बुरा सपना ही था ।
कभी – कभी सपने इतने स्पष्ट दिखते हैं कि हमें यह भेद करना मुश्किल हो जाता है कि ये सपना है या हकीकत , इसलिए वास्तविक दुनिया में जब कभी हमारे साथ कुछ बहुत अच्छा होता है तो हमें यह भ्रम होता है कि कहीं यह सपना तो नहीं है और वास्तविकता से इसका कोई सबन्ध न हो ।
इस तरह वास्तविक जीवन भी कभी – कभी सपने के समान लगता है और सपने भी कभी – कभी हमें वास्तविक जीवन के समान लगते हैं क्योंकि दोनों आपस में एक समान हैं ।
सपने में भी हम दृश्य देखते हैं , आवाजें सुनते हैं , सुगन्ध – स्पर्श महसूस करते हैं लेकिन सपनों में कुछ करने पर हमारा वश नहीं होता , हम चाह कर कुछ कर भी सकते हैं और नहीं भी क्योंकि सपनों में हम मन से कुछ करते हैं , अपने शरीर से नहीं ।
इसलिए सपनों में जब हम तेजी के साथ दौड़ना चाहते है , तो दौड़ नहीं पाते । कहीं भागना चाहते हैं , तो । भाग नहीं पाते । इसके विपरीत वास्तविक दुनिया में हम जो चाहें , वो कर सकने में सक्षम होते हैं , अपनी इच्छा से चल फिर सकते हैं , काम कर सकते हैं , दृश्य देख सकते हैं , सुगन्ध , स्पर्श व स्वाद का अनुभव कर सकते हैं ।
सपनों की दुनिया में और वास्तविक दुनिया में बहुत सारी समानताएँ होने के कारण इनमें फर्क करना कभी कभी मुश्किल हो जाता है ।
इनमें अन्तर बस इतना है कि सपनों की दुनिया वास्तविक नहीं है और वास्तविक दुनिया स्वान नहीं है , लेकिन सपनों की दुनिया वास्तविक दुनिया के दृश्यों से जुड़ी हुई है भी और नहीं भी ।
तभी तो वास्तविक दुनिया के दृश्य हमें सपनों में दिख जाते हैं और कभी – कभी वास्तविक दुनिया की अबूझ पहेलियों के हल भी हमें सपनों में मिल जाते हैं । सपनों में हम अपने भविष्य की घटनाओं को देख सकते हैं और अतीत की घटनाओं को देख सकते हैं । देखे जाने वाले सपनों पर हमारा वश नहीं होता , अपने आप ही दृश्य विनिर्मित होते हैं और हमें दिखते चले जाते हैं , इसलिए सपने जो देखे जाते हैं , वो विकिा होते हैं , क्योंकि प्रायः सपनों में जैसे दृश्य देखे जाते हैं , वास्तविकता में वैसा घटित नहीं होता ।
सपनों में समय की कोई सीमा नहीं होती। थोड़े ही समय में हम न जाने कितने दृश्य सपनों में देख लेते हैं । सपनों में हम अपनी वास्तविक दुनिया से कितने भी दूर के दृश्य देख सकते हैं और वास्तविक जीवन के आसपास की घटनाओं को भी देख सकते हैं ।
हम सपने क्यों देखते है ? Sapno Ka Rahasya
सपनों में हम अपने मन से वो कार्य कर सकते हैं , जो हम वास्तविक दुनिया में नहीं कर पाते , जैसे- सपनों में हम हवा में उड़ सकते हैं , पानी में तैर सकते हैं , अजीबोगरीब करतब करते हुए स्वयं को देख सकते हैं । जो हम बनना चाहते हैं , वो हम बनते हुए स्वयं को देख सकते हैं , और यह सब देखते समय आनन्द का अनुभव कर सकते हैं ,
सपनों में हमें देवी – देवताओं के दर्शन , मंदिरों के दर्शन हो सकते हैं और अजीबोगरीब भूत – प्रेत , जिन्न आदि भी सपनों में देखे जा सकते हैं । हिंसक जानवर , पालतू जानवर , पक्षी , साँप , कीड़े – मकोड़े भी सपनों में देख जा सकते हैं । इस तरह सपने में कुछ भी देखा जा सकता है ।
हमारी मनःस्थिति , परिस्थिति व शारीरिक स्थिति क्या है- उस पर हमारे सपने निर्भर करते हैं , हमारी इच्छाएँ – आकांक्षाएँ क्या है ? उससे सबन्धित सपने भी हमें दिख जाते हैं । वास्तव में सपनों की दुनिया सूक्ष्म जगत की दुनिया होती है । यदि हमारा शरीर स्थूल जगत का आधार है , तो इसे संचालित करने वाला हमारा मन सूक्ष्म जगत का आधार है ।
हमारा जीवन जो आज स्थूल शरीर के माध्यम से दृश्य है , वह हमारे मन के साथ न जाने कितने जन्मों की यात्रा करते हुए आ रहा है , कितने शरीर उसने बदले हैं , कितना जीवन उसने जिया है , इस बात का पता तो हमें नहीं होता , लेकिन उन सभी जन्मों के अनुभव , प्रवृत्तियाँ व कर्म – संस्कार हमारे चित्त में संग्रहित हैं ।
जब हम सपनों की दुनिया में खो जाते हैं , तो हम अपने मन के माध्यम से चित्त के लोक में विचरण करने लगते हैं और दृश्यों का अवलोकन करने लगते हैं तो यही कारण है कि सोने की कोशिश करते समय हम कब सो जाते हैं , हमें पता ही नहीं चलता , लेकिन यदि कोई महसूस करे , तो सोने के इस प्रयास में हमें एक हल्का झटका – सा लगता है और हम सो जाते हैं ।
इस झटके को भले ही हम महसूस न कर पाएं लेकिन सोते समय यदि कोई हमारे साथ है और वो हमें पकड़े हुए है , तो हमारे सोने के अहसास को इस माध्यम से वो महसूस कर सकता है ।
वास्तव में सोते समय हमारी चेतना हृदय क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है , जहाँ हमारे चित्त का निवास होता है । इसलिए ज्ञानीजन कहते हैं कि सोते समय हमें हृदयक्षेत्र पर ध्यान करते हुए सोना चाहिए ।
जब हम सोकर उठते हैं , उस समय यदि गौर किया जाए , तो हमें अपनी धड़कनें बहुत स्पष्ट सुनाई देती हैं , क्योंकि सोकर उठते समय चेतना को शरीर में पुनः सक्रिय होने में थोड़ा समय लगता है , इसलिए लोग कहते हैं कि सोकर जगते समय एकदम हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए , बल्कि आराम से उठना चाहिए ।
कभी – कभी जब हम सोकर उठते हैं , तो हमें थोड़ी देर के लिए कुछ समझ में नहीं आता , हम दिन को रात और रात को दिन समझ लेते हैं , या हम यह सोचने लग जाते हैं कि हम वास्तव में कहाँ पर हैं ? क्योंकि सोते समय हमारी चेतना अन्यत्र कहीं होती है और सोकर जागने के बाद वह हमारे शरीर में वापस आने लगती है , इसलिए इस अन्तराल के कारण हमें थोड़ी देर के लिए कुछ समझ नहीं आता ।
सपनों में हमें वह सब दिखता है , जो हम दुनिया से छिपाना चाहते हैं , अपने मन में दबाना चाहते हैं , हमारे मन का द्वन्द्व , हमारी मनोग्रंथियाँ , हमारी वासनाएँ- सब उभरकर सपने में आ जाते हैं ,