Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

Steve Jobs Biography in Hindi : आज की दुनिया में एप्पल जैसे कंपनी का नाम कौन नहीं जानता है , हर कोई इस कंपनी के बारे में जरूर ही सुना या इसके बारे में कुछ जानते होंगे। लेकिन क्या आपको इस कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स के बारे में मालूम है। स्टीव जॉब्स ने ही इस कंपनी की शुरुवात की। आज ये दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनियो में से एक है। आज जो iphone नाम का स्मार्ट फ़ोन आता है , जो अभी के समय का सबसे महंगा फ़ोन है। ये स्मार्टफोन स्टीव की ही देन है।

Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय : कम्प्यूटर , लैपटॉप और मोबाइल फोन बनाने वाली कम्पनी एप्पल के पूर्व सीईओ तथा जाने – माने उद्योगपति स्टीव जॉबा का जन्म 24 फरवरी , 1955 को सैन फ्रांसिस्को ( संयुक्त राज्य अमेरिका ) में हुआ था । उनके पैदा होने के समय तक इनके जैविक माता – पिता की शादी नहीं हई थी । अतः उनकी माता ने उन्हें पॉलरेनहोल्ड जॉब्स और क्लारा जॉब्स को गोद दे दिया ।

जॉब्स 5 वर्ष के थे , तो उनके माता – पिता सैन फ्रांसिस्को से माउण्टेन व्यू ( कैलिफोर्निया ) चले गए । जॉब्स ने प्राथमिक शिक्षा मोंटो लोमा विद्यालय से तथा उच्च शिक्षा कूपर्टीनो जूनियर हाईस्कूल तथा होमन हाईस्कूल से प्राप्त की ।

उन्होंने वर्ष 1972 में पोर्टलैण्ड के रीड कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के लिए प्रवेश लिया किन्तु वह कॉलेज अधिक महँगा था । अतः स्टीव ने रीड कॉलेज छोड़ दिया और क्रिएटिव कॉलेज में प्रवेश लिया ।

जब भारत आये थे स्टीव जॉब्स

वर्ष 1973 में स्टीव ने तकनीशियन के रूप में कार्य किया । वर्ष 1974 में वे आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में रीड कॉलेज के कुछ दोस्तों के साथ भारत आए । भारत में वे काफ़ी समय दिल्ली , उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में रहे ।

भारत में सात महीने व्यतीत करने के बाद वे पुनः अमेरिका लौट गए । उन्होंने भारतीय वस्त्र पहनना शुरू कर दिया तथा बौद्ध धर्म अपना लिया ।

वर्ष 1976 में स्टीव जॉब्स और वोजनियाक ने अपने व्यवसाय का गठन किया , जिसका नाम उन्होंने एप्पल कम्प्यूटर कम्पनी रखा । वर्ष 1976 में वोजनियाक ने मेकिनटोस एप्पल -1 कम्प्यूटर का आविष्कार किया तथा इसे बेचने के लिए जॉब्स और वोजनियाक ने अर्द्ध सेवानिवृत्त इण्टेल उत्पाद विपणन प्रबन्धक और इंजीनियर मारककुल्ला से धन लेकर एक गैरेज में कम्प्यूटर का निर्माण करने लगे ।

एप्पल से बाहर निकाल दिए गए जॉब्स

कहते है हर सफल आदमी की कोई ऐसी कहानी होती है , जिससे कुछ समय के लिए ऐसा लगता है , कि वो काम लायक नहीं है , लेकिन वक्त और मेहनत पूरी जस्बात को पलट देता है , ऐसा ही कुछ स्टीव के साथ हुआ। उन्हें एप्पल कम्पनी ने बाहर निकलने पर मजबूर किया और उसकी वजह से उन्होंने एप्पल कम्पनी को रिजाइन कर दिया। उस समय वो काफी टूट चुके थे।

लेकिन उनके कंपनी छोड़ने का क्या कारण था चलिए ये जानते है। उन्होंने मैक नाम का ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया। और उसे 1984 में अपने बेटी के नाम पर रखे हुए कंप्यूटर जिसका नाम लिसा उन्होंने रखा था एक समय यह कंप्यूटर फ्लॉप रही। लेकिन इस बार जब उन्होंने अपने खुद के ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ उसे लांच किया तो वह काफी कामयाब हुई  . तो कंप्यूटर की डिमांड काफी बढ़ने लगी।

और उस समय कंपनी पर ज्यादा प्रेसर आने लगा ,और स्टीव ने अपनी कम्पनी के कांसेप्ट को छुपाया नहीं , तो इससे दूसरी कम्पनिया उसका इस्तेमाल करके नए नए कंप्यूटर बनाकर सस्ते दामों में बेचने लगी , जिसके कारन कम्पनी को काफी नुकसान हुआ। जिसके कारण कम्पनी दबाव बनाने लगी उन्हें रिजाइन करने को लेकर। इसलिए उन्होंने रिजाइन कर दिया।

वर्ष 1978 में माइक स्कॉट को एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया । वर्ष 1983 में स्टीव जॉब्स ने पेप्सी कोला के अधिकारी जॉन स्कली को एप्पल का मुख्यकार्यकारी अधिकारी बनाया ।

24 मई , 1985 को जॉन स्कली के कहने पर स्टीव जॉब्स को मेकिनटोस प्रभाग के प्रमुख और प्रबन्धकीय कर्तव्यों से हटा दिया गया । एप्पल से त्यागपत्र देने के बाद स्टीव ने वर्ष 1985 में नेक्स्ट इंक की स्थापना की । नेक्स्ट अपने तकनीकी आविष्कारों के लिए कुछ ही दिनों में विख्यात हो गई । टिम बर्नर्स ली ने नेक्स्ट कम्प्यूटर पर वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार किया ।

एप्पल के बने सीईओ

कहते है न वक्त सबका आता है। तो वैसे ही स्टीव का भी वक्त आया और उन्हें फिर से एप्पल कम्पनी में वापसी हुई। इस बार उन्हें सीईओ बनाया गया।

एप्पल से निकलने के बाद उन्होंने नेक्स्ट इंक नाम की जो कम्पनी खोली थी , वो काफी प्रचलित हो गयी , और एप्पल कम्पनी ने उसके पीछे हाथ बढ़ाया। तो स्टीव ने डील की। और नेक्स्ट इंक कम्पनी एप्पल कम्पनी साथ जुड़ गयी और स्टीव जॉब्स को एप्पल का सीईओ बना दिया गया। उसके बाद उन्होंने कई नए प्रोडक्ट बाजार में उतारे। जो लोगो को काफी पसंद आ रहे थे।

वर्ष 1990 में नेक्स्ट ने अपना पहला कम्प्यूटर बाज़ार में उतारा , किन्तु महंगा होने के कारण इसे बाजार में स्वीकार नहीं किया गया । पुनः उसी वर्ष नेक्स्ट ने नया उन्नत ‘ इण्टर पर्सनल कम्प्यूटर ‘ बनाया । वर्ष 1996 में एप्पल कम्प्यूटर की स्थिति खराब हो गई ।

तब स्टीव जॉब्स ने नेक्स्ट को एप्पल को बेच दिया तथा एप्पल के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर बने । जॉब्स वर्ष 1997 में एप्पल कम्पनी के सीईओ नियुक्त हुए । उनके नेतृत्व में एप्पल ने बाजार में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त की ।

वर्ष 2001 में एप्पल ने आई पॉड ‘ का निर्माण किया तथा वर्ष 2007 में आई फोन ‘ नामक मोबाइल फोन बनाया , जिसने बड़ी सफलता प्राप्त की । आज iphone काफी पॉपुलर फ़ोन में है। और सबसे अच्छी क्वालिटी का मोबाइल फ़ोन है।

वर्ष 2010 में एप्पल ने आई पैड नामक टेब्लेट कम्प्यूटर बनाया । स्टीव जॉब्स ने वर्ष 2011 में सीईओ पद से त्यागपत्र दे दिया , किन्तु बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे । स्टीव जॉब्स को उनकी उपलब्धियों के लिए अनेक पुरस्कार प्रदान किए गए ।

वर्ष 1982 में टाइम पत्रिका ने उनकी द्वारा बनाए गए एप्पल कम्प्यूटर को ‘ मशीन ऑफ द ईयर ‘ का खिताब दिया । वर्ष 1985 में उन्हें अमेरिकी राष्ट्रयति द्वारा ‘ नेशनल मेडल ऑफ टेक्नोलॉजी पुरस्कार प्राप्त हुआ । उसी वर्ष उन्हें सैम्युएल एस . बियर्ड पुरस्कार ‘ प्रदान किया गया नवम्बर , 2007 में फॉर्चन मैग्जीन ने उन्हें उद्योग में सबसे शक्तिशाली पुरुष ‘ का खिताब दिया । उसी वर्ष उन्हें कैलिफोर्निया हॉल ऑफ़ फेम ‘ का पुरस्कार भी प्रदान किया गया ।

वर्ष 2009 में वे एक सर्वेक्षण में किशोरों के बीच सबसे अधिक प्रशंसा प्राप्त उद्यमी के रूप में चयनित किए गए । इंक पत्रिका द्वारा वर्ष 1989 में ‘ दशक के उद्यमी ‘ नामित किए नदी 5 नवम्बर , 2009 को वे फॉर्च्न पत्रिका द्वारा दशक के सीईओ नामित किए गए । नवम्बर , 2010 में फोर्ब्स पत्रिका ने जन्हें ‘ पर्सन ऑफ द ईयर ‘ चुना ।

दुनिया के दूसरे प्रवर्तक बने स्टीव

थॉमस एडिसन जिन्होंने बल्ब का अविष्कार किया और साथ ही उन्होंने ने कई अविष्कार किये , उस समय के काफी अविष्कार उन्होंने किये और इस दुनिया को बल्ब के अविष्कार से पूरा प्रकाशित कर दिया। यह बहुत ही अद्भुत बदलाव था। और स्टीव जॉब्स जिन्होंने ने बहुत ही एडवांस कंप्यूटर को बनाया जिनकी वजह से ही आज हम कंप्यूटर अच्छे से इतने एडवांस तकनीक के साथ चला पा रहे है , वो स्टीव की ही देन है , आज स्टीव की ही वजह से आप ये पोस्ट हमारे साइट पर पढ़ रहे है।

21 दिसम्बर , 2011 को बुडापेस्ट में ग्राफिसाफ्ट कम्पनी ने उन्हें आधुनिक युग के महानतम व्यक्तियों में से एक चुनकर विश्व की पहली काँस्य प्रतिमा भेंट की । जनवरी , 2012 में समय का सबसे बड़ा प्रवर्तक के चुनाव में स्टीव जॉब्स , थॉमस एडीसन के बाद दूसरे स्थान पर थे ।

12 फरवरी , 2012 को उन्हें मरणोपरान्त ग्रैमी न्यासी पुरस्कार ( प्रदर्शन से असम्बन्धित ) , संगीत उद्योग को प्रभावित करने के लिए दिया गया । 1 मार्च , 2012 में फॉर्च्न पत्रिका ने जॉब्स को शानदार दूरदर्शी और प्रेरक तथा हमारी पीढ़ी का सर्वोत्कृष्ट उद्यमी नाम दिया ।

जॉब्स के परिवार में उनके एक पुराने सम्बन्ध से वर्ष 1978 में जन्मी उनकी बेटी लीजा ब्रेनन जॉब्स है । जॉब्स ने वर्ष 1991 लॉरेन पॉवेल से शादी की थी ।

Steve jobs की मृत्यु।

इस शादी से उन्हें एक पुत्र रीड तथा दो पुत्रियाँ एरिन तथा ईव हैं । स्टीव जॉब्स संगीतकार दि बीटल्स के बहुत बड़े प्रशंसक थे । वर्ष 2003 में स्टीव जॉब्स को पैंक्रियाटिक कैंसर हो गया ।

इस बीमारी का उन्होंने ठीक से इलाज नहीं करवाया । 5 अक्टूबर , 2011 को पालो अल्टो ( कैलिफोर्निया ) में उनके घर में उनका निधन हो गया ।

Steve Jobs Quotes in Hindi

 1 . आओ आने वाले कल में कुछ नया करते है बगैर इसकी चिंता करे, की कल क्या हुआ था।

2. डिजाइन वह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या महसूस होती है। डिजाइन वह है कि चीज काम कैसे करती है।

3. जो इतने पागल होते हैं, उन्हें लगता है कि वो दुनिया बदल सकते हैं, वे अक्सर बदल देते हैं।

4. शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा अविष्कार है।

5. कभी-कभी जिंदगी आपके सर पर ईंट से वार करेगी लेकिन अपना भरोसा कभी मत खोइए।

6. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी ज़िन्दगी के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार मौत के बारे में सोचता हूँ तब सारी उम्मीद, सारा गर्व, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है। इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। आप पहले से ही नंगे हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने।

स्टीव जॉब्स से जुड़े कुछ रोचक बाते।

1. स्टीव जब एक एप्पल के गार्डन में बैठे थे तभी उन्होंने कम्पनी का नाम एप्पल सोचा।

2. मार्कजुकेरबर्ग , बिलगेट्स और स्टीव में एक कॉमन बात है , इन तीनो ने कभी भी कोई डिग्री हासिल नहीं की।

3. स्टीव सिर्फ 25 साल की उम्र में बन गए करोड़पति।

4. स्टीव जॉब्स को टीवी देखना पसंद नहीं था। उन्होंने कहा था – एप्पल कम्पनी कभी भी टीवी नहीं बनाएगी।

5. स्टीव जॉब्स भारत आये थे और उन्होंने ने बौद्ध धर्म को अपनाया।

6. स्टीव जॉब्स अपने मरने के दो साल पहले एप्पल के वर्तमान सीईओ को अपने लीवर के कुछ हिस्सों को देने को कहा लेकिन एप्पल के वर्तमान सीईओ टीम कुक ने मना कर दिया।