Tanav Se Kaise Bache – तनाव से कैसे बचे

Tanav Se Kaise Bache तनाव हर किसी के जीवन में किसी – न – किसी रूप में आता है , जो इसका जितनी अच्छी तरह से प्रबंधन करते हैं , वो उतना ही अच्छी तरह से जीवन जीना सीख -लेते हैं ।

तनाव की अधिकता जहाँ शरीर व मन पर दबाव बढ़ाती है व रोगों की शुरुआत का कारण बनती है , वहीं तनाव से मुक्ति – व्यक्ति को ऊर्जावान , आत्मविश्वासी व विजयी बनाती है ।

तनाव यानी स्ट्रेस या खिंचाव । तनाव के कारण हमारी मानसिक स्थिति उस खिंचे हुए रबड़ की तरह हो जाती है , जो पुन : अपनी सामान्य अवस्था में आना चाहता है , लेकिन खिंचे रहने के कारण नहीं आ पाता और जब यह खिंचाव ज्यादा बढ़ जाता है , तो रबड़ को ही तोड़ देता है । ठीक ऐसी ही स्थिति मनुष्य जीवन की भी होती है ।

तनाव का शुरुआती कारण बहुत छोटा होता है , लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जाता , उसे नजरअंदाज किया जाता है , फिर जब वही कारण बड़े रूप में आता है और उसकी उपेक्षा असंभव होती है तो वह बड़े तनाव का कारण बन जाती है । इस तरह तनाव का रूप पहले छोटा ही होता है , लेकिन बाद में बढ़ जाता है ।

जिस तरह किसी परदे में , छोटा – सा छेद हो जाए , तो शुरुआत में वो दिखाई नहीं देता , लेकिन यदि उसे भरा न जाए तो धीरे – धीरे वह छेद बढ़ने लगता है और फिर इतना बड़ा हो जाता है कि वह सबकी नजर में आने लगता है , खटकने लगता है , फिर या तो परदे को बदल देना पड़ता है या फिर उस छेद को बंद करने की व्यवस्था करनी पड़ती है ।

ठीक इसी तरह शुरुआत में छोटे रूप में सामने आने वाले तनाव का उचित प्रबंधन न किया जाए तो वह धीरे – धीरे बड़े रूप में तब्दील हो जाता है । ऐसे में या तो उसका प्रबंधन करना होता है या फिर उसे छोड़ देना ही ठीक होता है । इनमें से पहली अवस्था , जिसे प्रबंधन करना कह रहे हैं , वह ‘ फाइट ‘ यानी जूझने की अवस्था है और दूसरी अवस्था ‘ फ्लाइट ‘ यानी भागने की है ।

परिस्थितियों से जूझने और भागने की अवस्था हर किसी के जीवन में आती है । जो साहसी होते हैं , धैर्यवान होते हैं , विवेकशील व उद्यमी होते हैं , वो चुनौतियों को स्वीकारने व परिस्थितियों से जूझने में यकीन रखते हैं और जो मानसिक व शारीरिक रूप से कमजोर , अक्षम व भयभीत होते हैं , वो परिस्थितियों से मुँह मोड़ लेते हैं ।

Tanav Se Kaise Bache – तनाव से कैसे बचे

आज तनाव को जीवन का पर्याय कहा जाए तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी । सुबह से देर रात तक व्यक्ति के जीवन में भागमभाग मची रहती है । उसके पास काम इतने होते हैं कि 24 घंटे के दिन – रात भी उसके लिए छोटे पड़ते प्रतीत होते हैं । इसके अतिरिक्त कई तरह के दबाव रहते हैं । इसके बावजूद कुछ लोगों का जीवन संतुलित और व्यवस्थित होता है , इसका कारण है कि वे तनाव का प्रबंधन सही समय पर सही ढंग से करना सीख लेते हैं । ऐसे लोग अपनी जीवनशैली इस तरह से व्यवस्थित करते हैं कि तनाव उन्हें तनाव नहीं दे पाता । तनावमुक्त जीवनशैली के कुछ प्रमुख गुण हैं

टाइम मैनेजमेंट के अनुसार कार्य करे

टाइम मैनेजमेंट यानी समय प्रबंधन समय को कार्यानुसार यदि प्रबंधित नहीं किया गया तो यह तनाव का सबसे प्रमुख कारण बनता है । इसलिए तनाव प्रबंधन के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि अपने कार्यों की सूची बनाई जाए और इसमें प्राथमिकता तय की जाए कि किन कार्यों को करना सबसे जरूरी है , फिर चाहे वे कठिन कार्य ही क्यों न हों ? उन्हें करने की शुरुआत की जाए ।

अक्सर लोग कार्य की कठिनाई देखकर उसे टाल देते हैं , लेकिन बाद में जब उस कार्य को करने के लिए समय कम बचता है , तो तनाव में आ जाते हैं और जैसे – तैसे उसे पूर्ण करते हैं । इसको ध्यान में रखते हुए आरंभ में ही अपनी क्षमताओं का आकलन करके कार्यों के करने का क्रम निर्धारित कर लेना चाहिए ।

यदि कार्य अत्यंत कठिन है , तो उसे पूर्ण करने में दूसरों के सहयोग , सुझाव व अनुभव का सहारा लिया जा सकता है । मुश्किल कार्य वैसे भी कठिनाई से पूर्ण होते हैं और यदि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया , फिर या तो वे अधूरे रह जाते हैं या फिर कम गुणवत्ता के साथ पूर्ण होते हैं । इसलिए जो कार्य कठिन हैं , उन्हें भी अपनी प्राथमिकता ( प्रायरिटी ) सूची में अत्यंत – जरूरी कार्यों के साथ शामिल कर लेना चाहिए और -धीरे – धीरे समय देते हुए उन्हें पूर्ण करना चाहिए । इसमें – एक बात यह ध्यान अवश्य रखनी चाहिए कि इसके – कारण वर्तमान के जरूरी कार्यों को पूर्ण करने में बाधा न आए ।

जीवन शैली में करे सुधार

जीवनशैली में करें सुधार व बदलाव हमारी जो भी जीवनशैली है , वह एक ही ढर्रे की न हो , उसमें समयानुसार बदलाव आए , परिवर्तन व नवीनता आए । एक ही तरह की जिंदगी हमें बोझिल लगने लगती है , इसलिए अपनी दिनचर्या में व कार्य करने के ढंग में बदलाव लाना चाहिए । ऐसा करने से हम अधिक स्फूर्ति व होश के साथ कार्य कर पाएँगे और अपने तनाव को भी कम कर पाएँगे ।

हमारी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिए , जो हमें स्फूर्तिवान बनाए , तनावमुक्त करे , न कि तनाव बढ़ाए । इसलिए अपनी जीवनशैली में कुछ कार्य समय पर करना उचित रहता है , जैसे – समय पर सोना व उठना , जिसमें नींद पूरी हो व मन तरोताजा हो । इ

सी तरह रोजमर्रा के कार्यों को समय पर निपटाना , जिससे अनावश्यक तनाव से बचाव होता है व तन – मन में ताजगी भी आती है । समय पर पोषक तत्त्वों से आदि करना , जिससे शरीर को पोषक तत्त्वों की पूर्ति हो ; क्योंकि यदि शरीर को पर्याप्त पोषक तत्त्व नहीं मिलते तो वे भी हमारी थकावट व तनाव का कारण बनते हैं ।

अपनी सीमाओं को समझे

अपनी सीमाओं को समझें – कई बार अपने तनाव का कारण व्यक्ति स्वयं होता है । वह दूसरों के कार्यों के लिए उनको मना नहीं कर पाता , ऐसे में वह अपने ऊपर दबाव बढ़ा लेता है । इसलिए व्यक्ति को अपनी क्षमताओं व सीमाओं को समझना चाहिए , जो कार्य अपनी समय व सीमा के दायरे में हों , उन्हें करने में कोई संकोच नहीं रना चाहिए , लेकिन जिन कार्यों से हमारे महत्त्वपूर्ण कार्य प्रभावित होते हैं , उन्हें टालना चाहिए या उनको उस समय करने के लिए मना कर देना चाहिए ।

दूसरों की सहायता व मदद करना अच्छी बात है , इससे समय पर हमें भी सहायता मिलती है , लेकिन दूसरों की मदद के लिए अपनी मदद करना भूल जाना — ये गलत है ।

अगर कोई पानी में डूब रहा है और तैरना न जानते हुए भी उसे बचाने के लिए पानी में कूद जाने पर एक के बजाय दो लोग डूबने लगेंगे । इसलिए ऐसे समय में ऐसे युक्त भोजन व्यक्ति की जरूरत है , जो तैरना जानता हो और उसे तैरकर बचाने में भी कुशल हो या फिर ऐसी युक्ति हो , जिससे डूबते हुए व्यक्ति को बचाया जा सके । इसलिए अपनी सीमाओं को जानना चाहिए और कार्यों को करने के लिए युक्ति का सहारा लेना चाहिए ।

बहसबाजी से न करे

बहसबाजी से करें बचाव – बहस निरर्थक होती है , इसमें बहुत सारा समय तो व्यर्थ निकल ही जाता है और साथ ही इसमें केवल अहंकार व बौद्धिकता का प्रदर्शन होता है । इसलिए बहुत कहने के बजाय , बहुत करने पर विश्वास रखना चाहिए और व्यर्थ की बातों से बचना चाहिए । कई बार बहसबाजी भी हमें व्यर्थ का तनाव दे देती है , जो हमें मानसिक रूप से परेशान करता है , इसलिए इससे बचना चाहिए । भले काम को शीघ्रता से करना चाहिए और बुरे काम के लिए कभी जल्दी नहीं करना चाहिए ।

मनोरंजन भी है जरुरी

मनोरंजन व पुरस्कार भी जरूरी – जीवन के लिए जितना काम और आराम जरूरी हैं , उतना ही जरूरी हैं – मनोरंजन और सही ढंग से काम होने पर पुरस्कार ।

एक ही तरह का काम करते – करते यदि मन बोझिल होने लगे , तो थोड़े समय के लिए अपना मनोरंजन कर लेना चाहिए , मन को बहला लेना चाहिए , हलके फुलके काम कर लेना चाहिए , मन को पसंद आने वाले कार्यों में थोड़े समय के लिए लग जाना चाहिए । इससे मन प्रफुल्लित होता है और फिर नई ऊर्जा के साथ काम होता है ।

इसलिए अपने महत्त्वपूर्ण कार्यों को करने में बीच – बीच में थोड़ा आराम करें और इसमें मन को विश्रांति दें , मन को बहलाएं , इससे तनाव भी कम होता है और काम भी अच्छा होता है । जीवन में आने वाले तनाव का प्रबंधन करने के लिए हमें एक ही तरह की आदतें व कार्य करने का ढंग नहीं अपनाना चाहिए , इसमें समयानुसार बदलाव करना चाहिए , अपनी योग्यता व कुशलता को निरंतर बढ़ाते रहना चाहिए ।

उम्मीद करते है इस लेख से Tanav Se Kaise Bache – तनाव से कैसे बचे  को काफी अच्छे से समझा होगा , आशा करते है , आपकी मनोकामना पूर्ण हो

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