Team Work Kaise Kare टीम वर्क बड़े से बड़े कार्यों को आसान बना देता है , कठिन से कठिन कार्यों को सरल बना देता है । इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है- उद्देश्य के अनुरूप टीम के सदस्यों का चुनाव , जिनमें उपयुक्त योग्यता , कुशलता , सामंजस्य , सहयोग आदि का उचित मेल हो ।
यदि उद्देश्य को ध्यान में न रखकर टीम के सदस्यों का चुनाव किया जाता है , तब उससे टीम तो बन जाती है , लेकिन उस टीम से कोई भी कार्य ठीक ढंग से पूरा नहीं हो पाता ।
यदि किसी टीम में सदस्यों का सही ढंग से चुनाव नहीं हुआ है , उनमें तालमेल नहीं है , उनकी योग्यता में कमी है , तो छोटा से छोटा व सरल कार्य भी टीम वर्क से पूरा नहीं हो पाता ।
टीम वर्क ( Team Work ) क्या होता है
टीम यानि कुछ चुने हुए लोगों का ऐसा ग्रुप , जिनमें कार्य के अनुरूप योग्यता व कुशलता हो , जिनमें अपनी टीम के प्रति समर्पण हो , एकता हो , सामंजस्य हो , जिसमें मुख्य रूप से टीमलीडर का दिमाग सक्रिय हो और उसके अनुसार कार्य करने के लिए टीम के सदस्यों का साथ हो , उनका पूरा सहयोग हो । ये भी जरूरी है कि टीम के सदस्य टीम के लक्ष्य के प्रति एकाग्र हों ।
टीम यानि एक ऐसा ढाँचा , जिसमें कम या अधिक लोग शामिल हो सकते हों लेकिन उन सब लोगों में इतनी समझ हो , कि वे एक शरीर व एक मन होकर कार्य करें ।
जिस तरह से हमारे शरीर में कई सारे अंग – अवयव हैं और वो सब हमारे मन – मस्तिष्क से संचालित हैं , उसी तरह टीम के सदस्य जब अपनी बात टीमलीडर तक पहुँचाते हैं और टीमलीडर सही निर्णय लेते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करते हुए कार्ययोजना टीम के सदस्यों के पास भेजते हैं , तब ही कार्य आगे बढ़ता है ।
Team Work Kaise Kare – टीम वर्क कैसे करे
टीम के सदस्य जब तक टीमलीडर की बात नहीं सुनते , उसके अनुसार कार्य नहीं करते , तब तक टीम वर्क पूरा नहीं हो सकता ।
हमारे शरीर के विभिन्न अंग – अवयव जो भी कार्य करते हैं , वो मौलिक हैं , उनका कार्य कोई दूसरा नहीं कर सकता । जैसे देखने का कार्य आँखें करती हैं , कान या नाक नहीं । सुनने का कार्य कान करते हैं , आँख या मुँह नहीं ।
यदि हमारे अंग – अवयवों में गड़बड़ी आ जाए और वे अपना कार्य ठीक ढंग से न करें , तो हम कोई भी कार्य ठीक ढंग से नहीं कर पाते , स्वयं को बीमार महसूस करते हैं और असहाय पाते हैं ।
टीम में भेदभाव की भावना न रखे
इसी तरह से किसी टीम के अंदर यदि टीम के सदस्य आपस में भेदभाव रखने लगें या स्वयं को विशेष समझने लगें और स्वयं को सबसे अधिक योग्य मानने लगें , या टीम में स्वयं को दूसरों से अधिक योग्य साबित करने की कोशिश करने लगें , तो ऐसी टीम में कोई भी कार्य अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाएगा ।
ऐसी टीम अन्य टीमों से प्रतियोगिता में सुनिश्चित रूप से हार जाएगी । हर व्यक्ति का अपना एक स्वाभिमान होता है , अपनी प्रतिभा होती है , जिसे वह प्रदर्शित करना चाहता है , लेकिन किसी टीम में शामिल होकर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए उसे अपनी टीम के सदस्यों से ही प्रतियोगिता करनी होगी और ऐसा करने से टीम – वर्क नहीं हो पाएगा ।
एक दूसरे के सहयोगी बने
टीम वर्क करने के लिए एक – दूसरे का सहयोग करना , एक दूसरे को आगे बढ़ाने में अपना पूरा सहयोग देना , टीम की प्रतिभा को उभारने हेतु अपना सहयोग देना , टीम में सामंजस्य व एकता बनाए रखना , गलतफहमियों को दूर करना आदि बहुत जरूरी है । टीम यानि कुछ लोगों द्वारा एक समूह में इस तरह जुड़कर कार्य करना , मानो वे एक ही हों , एक शक्ति , एक शरीर हों ।
जब ऐसी भावना के साथ कोई भी टीम कार्य करती है , तो उसकी कार्यक्षमता कई गुना बढ़ जाती है लेकिन किसी भी टीम की सफलता उसके टीम के सदस्यों के साथ – साथ टीम के नेतृत्व पर भी निर्भर करती है ।
टीम लीडर का योग्य होना जरुरी है
यदि टीम के सदस्य अपने कार्यों में बहुत योग्य हैं , लेकिन टीमलीडर अयोग्य है , तो भी टीम अपने कार्यों में असफल होती है । इसलिए किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य को करने के लिए टीम बनाने के साथ – साथ उपयुक्त व योग्य टीमलीडर का चुनाव करना बहुत जरूरी है ।
एक ऐसा टीमलीडर , जो सबसे घुल – मिल जाए , जो सबको समझे , जो सबकी योग्यताओं से अवगत हो , जो टीम के सदस्यों की योग्यता के अनुरूप उन्हें कार्य दे , कार्यों का भलीभाँति समय – समय पर निरीक्षण करता रहे , जो अपनी टीम की प्रतिभा को निखारने व विकसित करने में सदैव प्रयासरत रहे ,
टीम को मोटीवेट करना चाहिए
जो अपनी टीम की कमियों को स्वीकारे और उन्हें दूर करने हेतु प्रयास करे । इसके साथ ही अपनी टीम की खूबियों को पहचाने और उसे बढ़ाने हेतु टीम के सदस्यों को प्रोत्साहित भी करे ।
टीमलीडर ऐसा होना चाहिए , जो टीम के सदस्यों को सकारात्मक दृष्टिकोण दे , उनका आत्मविश्वास व उत्साह बढ़ाए , उन्हें भरोसा दे , संबल दे , उन पर विश्वास करे तथा उनकी कार्यक्षमता को निखारने हेतु प्रयास करे। यदि टीम के सदस्यों में आपसी कड़वाहट पैदा होती है , तो उसे दूर करने का प्रयास करे और टीम के सदस्यों को मिलजुलकर रहने की सीख दे । जो टीमलीडर अपनी टीम के सदस्यों का दिल जीत लेता है , वही टीमलीडर सर्वश्रेष्ठ होता है ।
टीम लीडर का सहयोग करना जरुरी है
जिस तरह पाँचों अंगुलियाँ बराबर व एक समान नहीं होती , उसी तरह किसी भी टीम के सदस्य एक जैसे नहीं होते । उनके स्वभाव व नजरिये में बहुत फर्क होता है , लेकिन अलग अलग स्वभाव व नजरिये वाले लोगों को एक टीम में जोड़ना , उनसे कार्य करवाना , उनमें तालमेल बनाए रखना ही टीमलीडर का दायित्व होता है , लेकिन जब तक टीम के सदस्य अपने टीमलीडर का सहयोग नहीं करते , आपस में मिलजुलकर नहीं रहते , तब तक टीम वर्क अधूरा रहता है ।
टीम में तालमेल आवश्य होना चाहिए
यदि टीम के सदस्यों में अच्छा तालमेल हो , उनमें आत्मविश्वास हो , उनमें योग्यता व कार्यकुशलता हो , तो ऐसी टीम सामान्य नेतृत्व में भी विशेष कार्य करने में सफल होती है और नई तरह की चुनौतियों को स्वीकारने के लिए भी हर समय तैयार रहती है ।
ऐसी टीम में यदि कोई सदस्य अवकाश भी लेता है , तो भी टीम उसकी कमी को पूरा कर देती है ।
जिस तरह हमारा परिवार रिश्तों से बना हुआ है और हम उसे बहुत महत्त्व देते हैं- उसी तरह से टीम के सदस्यों में भी एक भावनात्मक रिश्ता जुड़ जाता है , जो उन्हें टीम में बाँधे रखता है और टीम में अपना अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है ।
सदस्यों में आत्मविश्वास होना चाहिए
देखा जाए तो टीम के सदस्य एक छोटे परिवार की तरह ही होते हैं , जिसमें सब मिलजुलकर कार्य करते हैं और टीमलीडर का यह दायित्व होता है कि वह परिवार के मुखिया की तरह से अपनी टीम के सदस्यों का ध्यान रखे , उनकी भावनाओं का सम्मान करे , उनके सुख – दुःख में शामिल होकर उन्हें भावनात्मक संबल देने का प्रयास करे।
जरूरत पड़ने पर वह खुद भी उनके साथ जूझते हुए उनका आत्मविश्वास बढ़ाए । इतना ही नहीं , अनजाने में यदि कभी किसी से कोई भूल चूक हो जाए , तो उसे माफ करे और उसे तनाव में न आने दे ।
टीम लीडर को समझदार होना चाहिए
यदि टीमलीडर अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन नहीं करता है , अपनी टीम के सदस्यों को बिना बात के ही डाँटता है व उन्हें अपमानित करता है , तो ऐसी टीम के सदस्य न सिर्फ असन्तुष्ट रहते हैं , बल्कि ऐसी टीम का कोई भी कार्य समय पर पूरा नहीं होता है और न ही उनके कार्यों में कौशल आ पाता है ।
कोई भी संस्था चाहे वह छोटी हो या बड़ी , वहाँ हर कार्य टीम वर्क से ही पूरा होता है ।
बिना टीम के कोई भी संस्था नहीं चल सकती और टीमलीडर के बिना कोई टीम सफल भी नहीं हो सकती । टीम वर्क के बिना किया जाने वाला कार्य सफल नहीं होता । बिना टीम वर्क के छोटा से छोटा कार्य भी खराब हो जाता है ।
टीम वर्क का महत्व
टीम का महत्त्व यदि हम खेलों में देखें तो उसे देख कर बहुत कुछ सीख सकते हैं । बहुत सारे खेल ऐसे हैं , जो टीम के बिना नहीं खेले जा सकते , जैसे- किक्रेट , फुटबॉल , कबड्डी , हॉकी , बॉलीबॉल आदि । इन खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए एक अच्छी टीम का चयन जरूरी है ।
हालांकि अच्छी टीम बनाना आसान नहीं होता । एक मजबूत और उत्साही टीम बनाने के लिए टीमलीडर को आगे आना होता है ।
जरूरी नहीं कि टीम का हर सदस्य एक समान कुशल हो , लेकिन यह जरूरी है कि हर सदस्य के अन्दर कोई न कोई विशेषता हो , जिसे पहचानना और उसके अनुसार उसे आगे बढ़ाना टीमलीडर के ही हाथ में होता है ।
हर सदस्य से एक जैसी अपेक्षा भी नहीं रखी जा सकती लेकिन टीम के सदस्यों की खूबी जानकर उनसे उसी तरह का काम लेना टीमलीडर की योग्यता पर निर्भर करता है ।
एक समझदार व सुलझा हुआ टीमलीडर , टीम के सदस्यों की गलतियों पर उन्हें डाँटने व अपमानित करने की बजाय उन्हें समझाता है और सही ढंग से कार्य करने हेतु उनका मार्गदर्शन करता है ।
जब टीम के सदस्यों को अपनी गलतियों के कारण डाँट मिलने के स्थान पर कार्य करने के लिए पुनः अवसर व प्रोत्साहन मिलता है , तो वे अपनी गलतियों को महसूस करते हुए उनकी पुनरावृत्ति न होने का संकल्प लेते हैं ।
इसके अलावा टीमलीडर का यह कार्य है कि वह हर दिन , हर पल टीम के सदस्यों का विश्वास बढ़ाता रहे , ताकि उसके टीम के सदस्य अधिक सीखने – जानने व मुश्किल से मुश्किल काम को करने के लिए भी आत्मविश्वास से भरे रहें ।
इस तरह टीम के सदस्य व टीमलीडर दोनों की महत्ता है । बड़े स्तर पर किए जाने वाले कार्य टीम के बिना नहीं किए जा सकते और टीमलीडर के बिना टीम के सदस्य अपने कार्यों को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकते क्योंकि टीमलीडर ही वह माध्यम होता है , जो सबको लक्ष्य दिखाता है , लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग बताता है , अर्थात् कार्ययोजना बताता है और टीम के सदस्यों के साथ चलते हुए उन्हें लक्ष्य तक ले जाता है ।
इस तरह टीम के सदस्यों को एकजुट करने व उनसे सही ढंग से कार्य कराने का दायित्व टीमलीडर का होता है ।
जिस टीमलीडर से टीम का हर सदस्य जुड़ा होता है और वह उसकी हर बात मानता है , उसे दिल से स्वीकारता है ,तो ऐसी टीम के सदस्य चाहे कितने भी विपरीत स्वभाव के हों , वे मिलजुलकर कार्य करने में सफल होते हैं और अपने कार्यों से अपनी मंजिल तक अवश्य पहुँचते हैं ।
कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो अकेले किए जा सकते हैं , लेकिन कुछ कार्य ऐसे होते हैं , जिन्हें अन्य लोगों के सहयोग के बिना पूरा कर पाना संभव नहीं हो पाता ।
किसी टीम में जुड़कर कार्य करने में भी जब व्यक्ति अपना कार्य करता है , तो वह अकेले ही उसे पूरा करता है , लेकिन कार्य पूर्ण होते ही वह उसे दूसरे को या टीमलीडर को सौंप देता है ताकि उस कार्य का अगला चरण पूरा किया जा सके ।
हर व्यक्ति सभी कार्यों में कुशल नहीं होता , लेकिन कई व्यक्तियों का सम्मिलित कौशल कार्य को बेहतरीन बना देता है और इस तरह से वह कार्य सफल होता है ।
अंतिम शब्द
इस तरह जो कार्य कई चरणों में किए जाते हैं , उन्हें यदि टीम वर्क से किया जाए , तो वह कार्य चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो , असंभव ही प्रतीत क्यों न होता हो , वह सरलता के साथ पूरा हो जाता है और उस कार्य के पूर्ण होने पर उसे देखकर आश्चर्य होता है कि यह कैसे पूरा हुआ होगा ? टीम वर्क का ही प्रभाव है कि आज हमारे देश की सुरक्षा हेतु कई तरह की मिसाइलें बनायी जा चुकी हैं , अंतरिक्ष में कई यान भेजे जा चुके हैं , कई तरह की खोजें की जा चुकी हैं और कई ऐसे निर्माण किए जा चुके हैं , जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है कि ये कार्य करना कैसे संभव हुआ होगा ।
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