Tension Dur Kaise Kare – टेंशन दूर करने का मंत्र

Tension Dur Kaise Kare तनाव ( Tension ) कोई भी परिस्थिति आने पर व्यक्ति के तन – मन की प्रतिक्रिया है , जिसमें शरीर से स्ट्रेस हॉर्मोन स्रावित होते हैं , जो व्यक्ति को चुनौती का सामना करने कालिए आवश्यक सजगता , तत्परता , एकाग्रता एवं तैयारी की अवस्था में लाते हैं । इस तरह तनाव परिस्थितियों का सामना करने के लिए मनःस्थिति की तैयारी की अवस्था है , जिसके आधार पर व्यक्ति चुनौतियों के पार होता है ।

इस तरह तनाव जीवन का एक सकारात्मक तत्त्व कहा जा सकता है , लेकिन जब यही तनाव अधिक समय तक बना रहता है , तो यह नकारात्मक बन जाता है । वैज्ञानिक शोध के आधार पर स्पष्ट हो चुका है कि तनाव के साथ एक बिंदु तक कार्यक्षमता बढ़ती जाती है , लेकिन चरम बिंदु के बाद फिर इसका शरीर एवं मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना प्रारंभ हो जाता है तथा कार्यक्षमता में ह्रास आना शुरू हो जाता है ।

टेंशन के कारण होने वाले शारीरिक नुकसान

ऐसे में तनाव के हानिकारक प्रभाव व्यक्ति के तन , मन , व्यवहार एवं जीवन में प्रकट होना शुरू हो जाते हैं कार्य में एकाग्रता प्रभावित होने लगती है , स्मृति का लोप होना शुरू हो जाता है , निर्णय लेने की क्षमता कुंद पड़ने लगती है तथा कार्य को टालने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है ।

पेट एवं सिर में दरद हो सकता है , भूख कम लगती है या व्यक्ति अधिक खाने लगता है । व्यक्ति अनिद्रा का शिकार भी हो जाता है । व्यवहार में चिड़चिड़ेपन एवं क्रोध के लक्षण प्रकट होते हैं या व्यक्ति एकदम अलग – थलग पड़ जाता है किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति आ सकती है । भय , उद्विग्नता , हताशा , निराशा , चिंता एवं अवसाद जैसे मनोविकार हावी होने लगते हैं । ऐसा व्यक्ति परिस्थिति का सामना करने का साहस नहीं कर पाता

ऐसे में व्यक्ति नशे की गिरफ्त में आ सकता है तथा नींद के लिए गोली का सहारा लेने लगता है । शरीर का ऊर्जास्तर गिर जाता है , व्यक्ति थका – हारा अनुभव करता है और व्यक्ति की कार्यक्षमता गिर जाती है । धीरे – धीरे शरीर में इसके दुष्प्रभाव नाना प्रकार के मनोकायिक रोगों के रूप में प्रकट होना शुरू हो जाते हैं , यथा – अल्सर , उच्च रक्तचाप , हृदय रोग , मोटापा या दुबलापन , मधुमेह , अस्थमा , माइग्रेन आदि । जीवन में तनाव के कई कारण हो सकते हैं । मोटे तौर पर इन्हें परिस्थितिजन्य एवं मनःस्थितिजन्य दो हिस्सों में हम बाँट सकते हैं

तनाव होने के क्या कारण होते है

जीवन में कई परिस्थितियाँ गहरे तनाव का कारण बनती हैं । किसी का वियोग , विछोह एवं मृत्यु , संबंधविच्छेद , तलाक , सेवानिवृत्ति , बेरोजगारी , जीर्ण रोग , प्रसव , आपसी कलह – क्लेश , अर्थिक तंगी , दिनचर्या में व्यवधान जैसी नकारात्मक परिस्थितियाँ सघन तनाव देती हैं । इसके साथ शादी , पदोन्नति , आकस्मिक सफलता , लॉटरी जैसी आकस्मिक अनुकूलताएँ भी तनाव का कारण बनती हैं ।

तनाव के इन परिस्थितिजन्य कारणों का सीधा कोई समाधान नहीं होता । व्यक्ति अपनी मानसिक क्षमता के अनुसार इनका सामना करता है , बाकी समय के साथ इनका प्रभाव हलका होने लगता है और एक समय के बाद फिर इनसे उबर जाता है । अत : इसे एक तरह से काल सापेक्ष तनाव कह सकते हैं ।

ऐसे लोगों के अतिरिक्त मनःस्थिति से जुड़े तनाव के आंतरिक कारक व्यक्ति की पकड़ में होते हैं , जो प्रायः व्यक्ति की बिगड़ी जीवनशैली , सोचने की गलत पद्धति एवं भ्रमित दृष्टिकोण के कारण विकराल रूप लिए होते हैं । ऐसे में दैनंदिन जीवन के तनाव अधिकांशतः व्यक्ति की अपनी उपज होते हैं ।

बिगड़ी जीवनशैली , लक्ष्य की स्पष्टता का अभाव , कार्यों में प्राथमिकता का निर्धारण न हो पाना , अस्त व्यस्त दिनचर्या , अति महत्त्वाकांक्षा , अनावश्यक प्रतिद्वंद्विता , ईर्ष्या – द्वेष आदि जीवन को नकारात्मक तनाव से ग्रस्त कर देते हैं और इसे बोझिल बनाते हैं । इनको दुरुस्त कर व्यक्ति अपनी तनाव से पार होने की क्षमता बढ़ा सकता है । इस संदर्भ में तनाव प्रबंधन के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जा सकता है

Tension Dur Kaise Kare – टेंशन दूर करने का मंत्र

बिगड़ी जीवनशैली , लक्ष्य की स्पष्टता का अभाव , कार्यों में प्राथमिकता का निर्धारण न हो पाना , अस्त व्यस्त दिनचर्या , अति महत्त्वाकांक्षा , अनावश्यक प्रतिद्वंद्विता , ईर्ष्या – द्वेष आदि जीवन को नकारात्मक तनाव से ग्रस्त कर देते हैं और इसे बोझिल बनाते हैं । इनको दुरुस्त कर व्यक्ति अपनी तनाव से पार होने की क्षमता बढ़ा सकता है । इस संदर्भ में तनाव प्रबंधन ( Tension Dur Kaise Kare ) के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जा सकता है

तनाव के कारण का पता लगाए

( 1 ) टेंशन के कारण की समीक्षा करें , इसकी तह तक जाएँ । कारण समझ आने पर फिर छोटे – छोटे कदम उठाते हुए इससे पार निकलने का प्रयास करें ।

नियमित रूप से अपना कार्य करे

( 2 ) आहार , निद्रा , विश्राम एवं व्यायाम को उचित – स्थान दें । ऐसा आहार जो तन – मन को उत्तेजित न करता हो , । शांत रखता हो , ग्राहा रहता है । नींद अपनी आवश्यकता के अनुरूप 6 से 8 घंटे की ली जा सकती है । नियमित किसी रूप में व्यायाम का समावेश तनावरोधी तंत्र को सशक्त बनाता है ।

एक समय में एक ही काम करे

( 3 ) मल्टीटास्किंग से बचें , एक समय एक काम : करें ; क्योंकि एक साथ कई कार्य तनाव का कारण बनते हैं , – जब कोई भी कार्य सही ढंग से नहीं हो पाता तो कार्य का असंतोष तनाव को जन्म देता है । एक समय पर एक काम करने से तनाव से पार पाया जा सकता है ।

मोबाइल की लत से बचे

( 4 ) अच्छी संगत का तनाव निवारण में अपना महत्त्व रहता है । मोबाइल फोन आज गलत संगत एवं तनाव का एक बड़ा कारण बन चुका है , जिसका संयत एवं सही उपयोग कर अनावश्यक तनाव से बचा जा सकता है । ऐसे ही सकारात्मक लोगों की संगत जीवन को सुखद बनाती है ।

आपसी सम्बन्ध मजबूत रखने का प्रयास करे

( 5 ) आपसी संबंधों को मजबूत रखें । घर – परिवार – में अच्छे संबंध भावनात्मक संबल देते हैं । ऐसे में व्यक्ति की तनावरोधी क्षमता बढ़ती है व व्यक्ति हँसते हुए जीवन की चुनौतियों का सामना करता है ।

अतिमहत्वाकांक्षी न बने

( 6 ) लक्ष्य की स्पष्टता जीवन को सफल तथा – इच्छाओं की कमी – व्यक्ति को सुखी बनाते हैं ; जबकि अतिमहत्त्वाकांक्षा व्यक्ति के असंतोष का कारण बन तनाव । देती है । महत्त्वाकांक्षाओं को कम कर , सादा जीवन उच्च विचार के आदर्श का अनुकरण करते हुए जीवन को सरल – एवं तनावशून्य बनाया जा सकता है ।

कार्यो को समय के अनुसार पूरा करे

( 7 ) कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना उचित रहता है । इससे अंतिम समय की अनावश्यक अस्त व्यस्तता एवं तनावपूर्ण स्थिति से निजात मिलती है अन्यथा तनाव व्यक्ति की नियति बन जाता है । परीक्षा के समय में इस नियम का पालन न करने के कारण कितने छात्र छात्राओं को तनावग्रस्त अवस्था में हैरान – परेशान देखा जा सकता है ।

अपनी सीमाओं को जाने

( 8 ) अपनी सीमाओं को जानें व न करना सीखें । यह सुनिश्चित है कि एक व्यक्ति सब कुछ नहीं कर सकता और न ही सबको खुश कर सकता है । अपनी सीमाओं को जानते हुए न करने की कला व्यक्ति को अनावश्यक दबाव एवं तनाव से मुक्त रखती है ।

नकरात्मक लोगो से दूर रहे

( 9 ) नकारात्मक लोगों से दूर ही रहें । कुछ व्यक्ति नकारात्मकता का चलता – फिरता पिटारा होते हैं । ऐसे लाइलाज लोगों को दूर से ही प्रणाम करें । यदि कुछ व्यवहार करना पड़े , तो न्यूनतम मर्यादा का निर्वाह करते हुए सजग व्यवहार करें । इनसे किसी भी रूप में उलझना भारी तनाव को निमंत्रण देना साबित हो सकता है ।

खुद के लिए समय निकाले

( 10 ) अपने लिए समय निकालें , आत्मसमीक्षा करें , स्वाध्याय सत्संग , प्रेरक साहित्य को पढ़ें । इससे तनाव के मूल तक जाने की विवेक – बुद्धि विकसित होती है व इसके निराकरण के उपाय भी सूझते हैं । यहाँ तक कि भारी तनाव के बीच भी रचनात्मक जीवन के सूत्र समझ आते हैं

अपने दिनचर्या को नियमित डायरी में लिखे

( 11 ) नियमित डायरी का लेखन तनाव को कम करने का एक प्रभावशाली उपाय रहता है । दिनभर के गुबार को डायरी में उतारने पर मन हलका हो जाता है । इसी विशेषता के कारण मनोवैज्ञानिक केथारसिस अर्थात विरेचन के रूप में डायरी लेखन का भी उपयोग करते हैं ।

प्रकृति और परिवार के साथ समय व्यतीत करे

( 12 ) प्रकृति का संग – साथ तनाव के निवारण का एक सरल एवं सहज उपाय है । प्रकृति के सान्निध्य में व्यक्ति को प्रशांतक स्पर्श मिलता है । अतः बीच – बीच में अकेले या परिवार के साथ प्राकृतिक परिवेश में टहलना या ट्रेकिंग एक लाभकारी प्रयोग रहता है । तनाव निवारण के लिए ध्यान की आध्यात्मिक विधि को भी अपनाया जा सकता है । यदि ध्यान न लगता हो तो प्रार्थना का सर्वसुलभ उपाय कभी भी , कहीं भी आजमाया जा सकता है ।

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