जल ही जीवन है – Jal Hi Jivan Hai Par Nibandh
‘ जल ही जीवन है ‘ – ऐसा कहते हुए हम थकते नहीं , मगर जल बचाने के लिए कुछ करते भी नहीं । शायद यह सोचकर चुप बैठ जाते हैं कि हमारा पड़ोसी जल कुछ करने की क्या जरूरत है । हमारी यही नकारात्मक सोच हमें जल संकट की ओर ले जा रही है ।
जल संरक्षण आवश्यक है । देश में पानी की समस्या से जुड़ी चुनौती बड़ी गहरी है । स्वच्छता आंदोलन की तरह ‘ जल संरक्षण ‘ आंदोलन चलाने की भी जरूरत है । जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत हमें करनी चाहिए । देश में पानी के संरक्षण के लिए जो पारंपरिक तौर तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं , उन्हें साझा करने का समय अब आ गया है ।
एक वह भी समय था जब तालाब , बावड़ियाँ और कुएँ ही हमारे जल के स्रोत थे । वे राज्य या शासन के आसरे न होकर जनता के आसरे थे । उनका रखरखाव भी जनता ही करती थी , मगर जब से पानी का जिम्मा सरकार ने सँभाला है और हम राज्याश्रित हो गए तब से अपने परंपरागत स्रोतों को हम भूल बैठे , जिसका नतीजा यह निकला कि आबादी बढ़ती गई और जल घटता गया । वैश्विक संस्थानों की लगातार चेतावनी देने का भी लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा है ।
विभिन्न संगठनों की जल संरक्षण संबंधी रिपोर्टों में स्पष्ट रूप से इस सत्य को कहा गया है कि भूगर्भ में अब पानी शेष नहीं रहा है और वर्षा का पानी सहेजने में हम नाकारा साबित हुए हैं । विशेषकर भारत में पानी के प्रति घोर लापरवाही का परिणाम आम आदमी को शीघ्र ही भुगतना होगा ।
यू.एन. वाटर एवं इंटरनेशनल फंड फॉर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट के अनुसार आँकड़े बताते हैं कि प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण और जल संसाधनों पर दबाव इसी तरह बना रहा तो सन् 2050 तक विश्व का 45 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद और 40 प्रतिशत खाद्यान्न बुरी तरह से खतरे की सीमा में आ जाएँगे ।
गरीब और वंचित तबके इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे । देश इस समय भीषण जल संकट से बचाएगा , हमें गुजर रहा है और इस आसन्न संकट पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो हालात बदतर होने की संभावना है । भारत अब तक के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है ।
देश के करीब 60 करोड़ लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं । करीब 75 प्रतिशत घरों में पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है ।
साथ ही देश में करीब 70 प्रतिशत पानी पीने लायक नहीं है । साफ और सुरक्षित पानी नहीं मिलने की वजह से हर साल करीब दो लाख लोगों की मौत हो जाती है । जल जीवन का सबसे आवश्यक घटक है और जीविका के लिए महत्त्वपूर्ण भी है । यह समुद्र , नदी , तालाब , पोखर , कुएँ , नहर इत्यादि में पाया जाता है । हमारे दैनिक जीवन में जल का बहुत महत्त्व है ।
हमारा जीवन तो इसी पर निर्भर है । यह पाचन – कार्य करने के लिए शरीर में मदद करता है और हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है । यह हमारे जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है ।
यह हमारे जीवन की गुणवत्ता निर्धारित करने में एक महत्त्वपूर्ण घटक है और सार्वभौम है । जल वनस्पति एवं प्राणियों के जीवन का आधार है । उसी से हम मनुष्यों , पशुओं एवं वृक्षों को जीवन मिलता है ।
भारत नदियों का देश कहा जाता है । पहले जमाने में गंगाजल वर्षों तक बोतलों , डिब्बों में बंद रहने पर भी खराब नहीं हुआ करता था , परंतु आज जल – प्रदूषण के कारण अनेक स्थानों पर गंगा – यमुना जैसी पवित्र नदियों का जल भी छूने योग्य नहीं रह गया है ।
सामाजिक हस्तियों से जल संरक्षण कार्यों में योगदान की अपील की आवश्यकता है । हम अपने परंपरागत जल स्रोतों की सुध – बुध लें , उनका जीर्णोद्धार कराएँ , ताकि पानी की एक – एक बूंद का सदुपयोग हो सके । आवश्यकता इस बात की है कि हम जल के महत्त्व को समझें और एक एक बूंद पानी का संरक्षण करें , तभी लोगों की प्यास बुझाई जा सकेगी । तभी ‘ जल ही जीवन है ‘ का सूत्र जीवंत हो पाएगा ।
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