What Is Computer In Hindi – कंप्यूटर क्या है हिंदी में पूरी जानकारी

What Is Computer In Hindi – कंप्यूटर क्या है हिंदी में पूरी जानकारी

What Is Computer In Hindi : कम्प्यूटर शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘ कम्प्यूट ‘ से हुई है जिसका अर्थ होता है — गणना करना । कम्प्यूटर को हिन्दी भाषा में ‘ अभिकलिग ‘ या संगणक कहते हैं । कम्प्यूटर एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक युक्ति ( Device ) है जो दिए गए निर्देशन समूह ( Set of information ) के आधार पर सूचना ( Information ) को संसाधित ( Process ) करती है । इस निर्देशन – समूह को प्रोग्राम ( Programme ) कहते हैं । इस प्रकार कम्प्यूटर केवल एक गणक ही नहीं है बल्कि गणितीय तथा अगणितीय सभी प्रकार की सूचना को संसाधित करने वाला उपकरण है ।

कम्प्यूटर की कार्य योजन :

  • 1 . कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है ।
  • 2 . कम्प्यूटर केवल प्रोग्राम के द्वारा ही कार्य करता है ।
  • 3. कम्प्यूटर निवेशित डाटा ( Input data ) जैसे व्यक्ति और जगह के नाम , रकम , अक्षर , अंक आदि को ग्रहण करता है ।
  • 4. इसके लिए उपयोगी और सम्बन्धित जानकारी जैसे — विद्यार्थियों का परीक्षाफल , कम्पनी का बैलेन्स शीट , रिपोर्ट , गणित का हल , शोध कार्य का तार्किक विश्लेषण आदि कम्प्यूटर प्रस्तुत करता है ।
  • 5 . कम्प्यूटर मानव की तुलना में बहुत तेजी से कार्य करता है और बिना गलती किए तथा बिना थके बार – बार कार्य कर सकता है ।

कम्प्यूटर के प्रमुख तकनीकी कार्य चार प्रकार के होते हैं ।

  • 1. डाटा का संकलन तथा निवेश ।
  • 2. डाटा का संचयन ।
  • 3. डाटा संसाधन ।
  • 4. डाटा इन्फॉर्मेशन का निर्गम या पुनर्निगम ।

कंप्यूटर की विशेषताएं

1 . याद रखने की क्षमता : कम्प्यूटर असंख्य बातों तथा डाटा आदि को अपने मेमोरी में संग्रहित रखता है । आवश्यकतानुसार उसे देखा या लिया जा सकता है ।

2. संग्रह ( Storage ) : कम्प्यूटर की प्रमुख विशेषता इसकी संग्रह शक्ति है । इसमें डाटा को संग्रह किया जाता है । संग्रह किए गए डाटा को भविष्य में भी प्रयोग कर सकते हैं ।

3. परिभ्रम ( Diligence ) : मनुष्य कार्य करते वक्त थक जाता है परन्तु कम्प्यूटर नहीं ।

4. विश्वसनीयता ( Reliability ) : कम्प्यूटर से सम्बन्धित सभी क्रियाएँ विश्वसनीय होती हैं ।

5. विशुद्धता ( Accuracy ) : कम्प्यूटर अपना प्रत्येक कार्य दोष रहित करता है । गलतियों की सम्भावना होती ही नहीं है ।

6. विविध गुण सम्पन्नता ( Versatility ) : कम्प्यूटर के कई कार्य हैं लिखना , याद करना , बोलना , सुनना । यह हमारे दैनिक जीवन के सभी कार्यों में सहयोग करता है ।

7. गति ( Speed ) : कम्प्यूटर कुछ ही क्षणों में सभी कार्य को सम्पादित कर देता है चाहे वह गुणा , जोड़ , घटाव , भाग आदि हो । प्रोसेसिंग गति को मेगा हर्ट्स ( MH ) [ | सेकेण्ड में 10 लाख से अधिक मशीनी चक्र में मापा जाता है ।

8. डाटा प्रोसेसिंग ( Data Processing ) : कम्प्यूटर की डाटा प्रोसेसिंग क्षमता के अन्तर्गत Numeric or Non – numeric दोनों शामिल किये जाते हैं ।

9. वैज्ञानिक अनुसंधान ( Scientific Research ) : कम्प्यूटर विज्ञान के लिए वरदान है । इससे मौसम का सफल अनुमान , ग्रहों का अध्ययन , स्कैन , भूकम्प , ज्वालामुखी का पूर्वानुमान लगाया जाता है ।

10. मानवीय क्षेत्र में योगदान : यह मानव के हर क्रियाकलाप में योगदान देता है जैसे बैंक के कार्य , रेलवे , पुलिस व्यवस्था , चिकित्सा क्षेत्र , ऑफिस , कला एवं संस्कृति , खेल , मनोरंजन आदि ।

कम्प्यूटर प्रणाली इसे प्रमुख रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है ।

( A ) हार्डवेयर – Hardware

कम्प्यूटर के बाहर तथा अन्दर के इलेक्ट्रॉनिक भाग ही कम्प्यूटर के हार्डवेयर होते हैं । इनपुट , आउटपुट , प्रोसेसिंग , कन्ट्रोल तथा स्टोरेज करने वाले उपकरण भी हार्डवेयर कहलाते हैं ।

कम्प्यूटर हार्डवेयर के भाग – 1. सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट । 2. इनपुट यूनिट । 3 आउटपुट यूनिट । 4. मेमोरी यूनिट ।

आज सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट ( Central Processing Unit ) : CPU को कम्प्यूटर का दिमाग भी कहते हैं । यह कम्प्यूटर के सभी कार्यों पर नियन्त्रण करता है । हम जो भी डाटा इनपुट में डालते हैं वह CPU में चला जाता है । CPU उस पर अपनी गतिविधियाँ करके आउटपुट मॉनीटर को भेज देता है ।

13 इनपुट यूनिट ( Input Unit ) : इनपुट यूनिट के अन्तर्गत हम कम्प्यूटर को काम करने के लिए आदेश देते हैं । इनपुट करने के साधन की – बोर्ड , माउस और स्कैनर हैं । 3 आउटपुट यूनिट ( Output Unit ) : आउटपुट यूनिट में प्रिन्टर और मॉनीटर दो उपकरण माने जाते हैं ।

हम जो भी काम कम्प्यूटर पर करते हैं उसे मॉनीटर पर देख सकते हैं और प्रिन्टर पर छाप सकते हैं । 3 मेमोरी यूनिट ( Memory Unit ) : कम्प्यूटर में इनपुट किये गये डाटा को जिस स्थान पर सुरक्षित किया जाता है उसे मेमोरी यूनिट कहा जाता है ।

( B ) सॉफ्टवेयर – Software

सॉफ्टवेयर उन प्रोग्रामों को कहते हैं जिन्हें हम अपने कम्प्यूटर में लोड करते हैं । सॉफ्टवेयर के बिना कम्प्यूटर पर कोई भी काम करना सम्भव नहीं है । क्योंकि सॉफ्टवेयर मानव और कम्प्यूटर के बीच सम्बन्ध स्थापित करता है । हम कम्प्यूटर को जो भी निर्देश देते हैं वह सॉफ्टवेयर के रूप में होता है ।

सॉफ्टवेयर चार प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं 1. सिस्टम सॉफ्टवेयर ( System Software ) 2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर ( Application software ) 3. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ( Utility software ) 4. सामान्य सॉफ्टवेयर ( General software )

असामान्य सॉफ्टवेयर के उदाहरण हैं 1. एम.एस.वर्ड ( M.S. Word ) 2. एम.एस. एक्सेल ( M.S. Excel ) 3. कोरेलड्रॉ ( Corel draw ) 4. पेजमेकर ( Page Maker )

प्रोसेसिंग या प्रक्रिया ( Processing ) : संग्रहित डाटा की गणना , तुलना विश्लेषण व वर्गीकरण करके उसे एक व्यवस्थित रूप प्रदान करने की क्रिया प्रोसेसिंग कहलाती है । इसके अन्तर्गत डाटा की जाँच की जाती है और संग्रहित व व्यवस्थित करने के पश्चात् इसे सम्बन्धित व्यक्तियों के पास पहुँचाते हैं ।

कम्प्यूटर के विभिन्न भाग

1. रैम ( RAM ) ( Random Access Memory ) : इसे RAM के नाम से जाना जाता है । यह मेमोरी कम्प्यूटर का प्रयोग करते समय सबसे अधिक काम में लायी जाती है । जब कम्प्यूटर को बंद किया जाता है तो इस मेमोरी में संग्रहित सूचनाएँ स्वयं नष्ट हो जाती हैं । अत : इस मेमोरी को अस्थायी मेमोरी कहते हैं ।

2. रौम ( ROM ) ( Read only memory ) : इसे ROM के नाम से जाना जाता । इस मेमोरी में सूचनाएँ स्थायी रूप से संग्रहित होती हैं । कम्प्यूटर निर्माण के समय में ही इसमें सूचनाएँ संग्रहित कर दी जाती हैं जिन्हें उपयोगकर्ता केवल पढ़ सकता है , बदल नहीं सकता है ।

3. प्रोम ( PROM ) : आधुनिक समय में ऐसे रोम चिप उपलब्ध हैं जिनपर उपयोगकर्ता आवश्यक विशेष प्रोग्राम अंकित कर सकता है । इसका पूरा नाम है Programmable Read only Memory | एक बार प्रोग्राम अंकित करने पर वह स्थायी हो जाता है तथा फिर उसे बदला नहीं जा सकता ।

4. इप्रोम ( EPROM ) : प्रोम ( PROM ) में संग्रहित सूचना को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है इसलिए उपयोगकर्ता अपनी इच्छानुसार प्रोग्राम को परिवर्तित नहीं कर सकता । इस समस्या का समाधान करने के लिए आधुनिक समय में इप्रोम चिप उपलब्ध है जिन पर संग्रहित सूचना को अल्ट्रा वायलेट लाइट द्वारा हटाया जा सकता है ।

5. सीडी रोम ( CD ROM ) : सी.डी. रोम को ऑप्टिकल डिस्क भी कहा जाता है । ऑप्टीकल डिस्क के ऊपर डेटा को स्थायी रूप से अंकित किया जाता है । लेसर की सहायता से सीडी की सतह पर अति सूक्ष्म गड्ढे बनाये जाते हैं ।

6. सीडी आर / डब्लू ( CD – Read / Write ) : सीडी – आर / डब्लू भी ऑप्टिकल डिस्क है परन्तु इसमें संग्रहित डेटा को मिटाया या परिवर्तित किया जा सकता है । लेसर द्वारा सीडी में डेटा संग्रह सीडी के सतह पर सूक्ष्म गड्ढे के परावर्तन में परिवर्तन कर लिया जाता है तथा लिखे हुए सीडी में परिवर्तन करने के लिए फिर से लेजर का उपयोग किया जाता है ।

7. पेन ड्राइव ( Pen drive ) : यह छोटे की रिंग ( key – ring ) के आकार का होता है तथा आसानी से यू एस बी ( USB – Universal Serial Bus ) संगत प्रणालियों के बीच फाइलों के स्थानान्तरण तथा संग्रहण करने के लिए उपयोग होता है । यह भिन्न – भिन्न क्षमता वाले होते हैं इसे फ्लैश ड्राइव भी कहते हैं ।

8. फ्लॉपी डिस्क ( Floppy Disk ) : मैग्नेटिक डिस्क बहुत महँगी होती है इसलिए यह केवल मध्यम तथा बड़े कम्प्यूटरों के लिए ही उपयोगी है । फ्लॉपी डिस्क बहुत सस्ती होती है । इसलिए इसका उपयोग मिनी कम्प्यूटरों में अधिक होने लगा है । ये अलग – अलग आकारों में 3.5 ” तथा 5.25 ” में उपलब्ध होते हैं ।

कम्प्यूटर की भाषाएँ – Computer Langauge

1. मशीनी भाषा ( Machine Code ) : यह वह भाषा है जो केवल 1 और 0 के समूहों से बनी होती है और जिसे कम्प्यूटर सीधे समझ सकता है । यह भाषा दूसरी भाषाओं से भिन्न होती है ।

2. असेम्बली भाषा , समुच्चय भाषा ( Assembly language ) : असेम्बली भाषा मशीनी भाषा में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए आविष्कृत की गयी है । इसमें मशीन कोड की जगह पर नेमोनिक कोड का प्रयोग किया जाता है जिसे मानव मस्तिष्क आसानी से पहचान सकता है । जैसे— SUB मतलब SUBTRACT आदि । –

उच्च स्तरीय भाषाएँ – High level langauge

1. FORTRAN : फोरट्रान विश्व की सर्वप्रथम उच्चस्तरीय कम्प्यूटर प्रोग्रामन भाषा है जिसका विकास जे . डब्ल्यू . बेकस द्वारा दिए कम्प्यूटर पीढ़ी : एक तुलन किये गए प्रस्ताव पर आई- बी . एम . के द्वारा 1957 में किया गया । यह Formula Translation का संक्षिप्त रूप है ।

2. कोबोल ( COBOL ) : यह अंग्रेजी के शब्द Common Business Oriented Language का संक्षिप्त रूप है । यह सरकारी तथा वाणिज्यिक दफ्तरों में अधिक से अधिक प्रयोग होता है ।

3. बेसिक ( BASIC ) : यह अंग्रेजी के शब्द Beginner’s All Purpose Symbolic Instruction Code का संक्षिप्त रूप है ।

4. अल्गोल ( ALGOL ) : यह अंग्रेजी के शब्द Algorithmic Language होता है । का संक्षिप्त रूप है । इसका प्रयोग बीजगणितीय गणनाओं में अधिकतर

5 . पास्कल ( PASCAL ) : यह ALGOL का परिवर्धित रूप है । इसका प्रयोग अधिकतर मिनी कम्प्यूटर में किया जाता है ।

6. लिस्प ( LISP ) : LISP PROCESSING सन् 1960 में जॉन मेकार्थी कदम है । ने विकसित किया । यह कृत्रिम बुद्धि के विकास की दिशा में प्रथम

7. Prolog ( Programming in Logle ) : सन् 1973 में फ्रांस में विकसित हुआ । यह भाषा कृत्रिम वृद्धि का जनक है ।

8. लोगो ( LOGO ) : छोटी कक्षा के छात्रों में ग्राफिक रेखाकृतियों के अनुकरण के लिए उपयोगी है ।

9. फोर्थ ( FORTH ) : चार्ल्स एच . मूरे ने सन् 1960 में विकसित किया ।

10. पायलट ( PILOT ) : यह एक प्रकार की लेखकीय भाषा है । विद्यालयों में इसका प्रयोग किया जाता है ।

11. सी ( C ) : इसका आविष्कार 1972 ई . में डेनिस रिची ने किया था । यह कम्प्यूटर की सबसे लोकप्रिय भाषा है ।

👉 Computer Virus : कम्प्यूटरों में एकत्रित सूचनाओं और जानकारियों को समाप्त करने के लिए एक विध्वंसात्मक इलेक्ट्रॉनिक कोड होता है जिसे कम्प्यूटर प्रोग्राम में मिला दिया जाता है । इस कोड से कम्प्यूटर में एकत्रित जानकारी नष्ट हो जाती है तथा गलत सूचनाएं मिल जाती है । इसे कम्प्यूटर प्रोग्राम में किसी टेलीफोन लाइन से दुर्भावनावश प्रेषित किया जा सकता है । इस विनाशकारी कोड को कम्प्यूटर वायरस कहते हैं । .

👉love virus : 4 मई , 2000 को आई लव यू नामक कम्प्यूटर वायरस अचानक विश्व के लगभग 20 देशों में फैल गया । इसे लब बग भी कहते हैं । यह इलेक्ट्रॉनिक डाक या ई – मेल को या तो नष्ट कर देता है या विकृत कर देता है ।

Leave a Comment